Maa Saraswati Puja: किस दिन होती है मां सरस्वती की पूजा? इस तरह करें देवी शारदा की उपासना
देवी सरस्वती की पूजा (Maa Saraswati Puja) के लिए गुरुवार का दिन समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि उनकी पुजा करने से बुद्धि और ज्ञान का वरदान मिलता है। देवी को वेदमाता शारदा ब्रह्माचारिणी जगन्माता आदि नामों से भी जाना जाता है जो लोग मां सरस्वती की पूजा विधि अनुसार करते हैं उन्हें कभी न समाप्त होने वाले ज्ञान की प्राप्ति होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Maa Saraswati Puja: सनातन धर्म में सरस्वती पूजा का विशेष महत्व है। देवी सरस्वती को ज्ञान, ज्ञान, कला और रचनात्मकता का प्रतीक माना जाता है। वे पवित्रता, अनुग्रह और वाक्पटुता का प्रतिनिधित्व करती हैं। ऐसी मान्यता है कि उनकी पुजा करने से बुद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मां सरस्वती को शारदा, ब्रह्माचारिणी, जगन्माता आदि नामों से भी जाना जाता है।
वेदमाता की पूजा लोग ज्यादातर बसंत पंचमी के दिन करते हैं, लेकिन देवी की पूजा अगर गुरुवार को की जाए, तो उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन का अंधकार दूर होता है और प्रकाश का संचार होता है।
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इस विधि से करें मां सरस्वती की पूजा
- सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
- इसके बाद पीले वस्त्र धारण करें।
- जिन्हें व्रत करना है, वे लोग सुबह ही व्रत का संकल्प लें।
- देवी को गंगाजल से स्नान करवाएं।
- उन्हें हल्दी, कुमकुम का तिलक लगाएं।
- देसी घी का दीपक जलाएं।
- पीले फूलों की माला अर्पित करें।
- पीली मिठाई और अन्य घर पर बने व्यंजन का भोग लगाएं।
- किताबें, वाद्य यंत्र और अन्य चीजें देवी के सामने रखें।
- मां सरस्वती की चालीसा और उनके वैदिक मंत्रों का जाप करें।
- पूजा का समापन आरती से करें।
- अंत में गलती के लिए क्षमायाचना करें।
- पूजा के बाद घर के अन्य सदस्यों में प्रसाद बांटे।
- तामसिक चीजों से दूर रहें।
मां सरस्वती की पूजा का मंत्र
- पद्माक्षी ॐ पद्मा क्ष्रैय नमः।।
- या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
- सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी, विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा।।
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