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Magh Gupt Navratri 2024: जल्द शुरू हो रहे हैं गुप्त नवरात्र, इन देवियों के लिए समर्पित है यह समय

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल चार बार नवरात्र मनाए जाते हैं जिसमें चैत्र और आश्विन माह (शारदीय नवरात्र) में प्रकट नवरात्र मनाई जाती है। वहीं माघ और आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्र मनाई जाती हैं। मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्र (Magh Gupt Navratri 2024) में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने से साधक को सभी कष्टों से मुक्ति मिल सकती है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 31 Jan 2024 03:13 PM (IST)
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Gupt Navratri 2024 गुप्त नवरात्र में की जाती है दस महाविद्याओं की पूजा।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Magh Gupt Navratri 2024 Date: सनातन धर्म में नवरात्र के समय में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की आराधना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। प्रत्येक वर्ष में 2 गुप्त नवरात्र भी आते हैं, एक माघ की गुप्त नवरात्र और दूसरा आषाढ़ के गुप्त नवरात्र। इस दौरान दस महाविद्याओं की पूजा-अर्चना गुप्त तरीके से की जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि ये दस महाविद्याएं कौन हैं।  

गुप्त नवरात्र 2024 शुभ मुहूर्त (Gupta Navratri Shubh Muhurat)

माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्र की शुरुआत मानी जाती है। ऐसे में पंचांग के अनुसार, साल 2024 में माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 10 फरवरी, शनिवार के दिन से हो रही है। वहीं, 18 फरवरी, रविवार के दिन इसका समापन होने जा रहा है।

घट स्थापना का मुहूर्त (Ghat sthapana muhurt)

गुप्त नवरात्र में भी घट स्थापना की जाती है। ऐसे में माघ गुप्त नवरात्र के घट स्थापना का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा -

घट स्थापना का मुहूर्त - 10 फरवरी, सुबह 08 बजकर 45 मिनट से सुबह 10 बजकर 10 मिनट तक

घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त - 10 फरवरी, दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक

ये हैं दस महाविद्याएं (Das Mahavidya Name)

गुप्त नवरात्र के दौरान दस महाविद्या की पूजा का विधान है। ये 10 महाविद्याएं मां दुर्गा के ही रूप हैं। माना जाता है कि इनकी आराधना करने से साधक की सिद्धि पूरी होती है।

  1. काली
  2. तारा
  3. छिन्नमस्ता
  4. षोडशी
  5. भुवनेश्वरी
  6. त्रिपुर भैरवी
  7. धूमावती
  8. बगलामुखी
  9. मातंगी
  10. कमला

इसलिए खास है गुप्त नवरात्र

माघ माह की गुप्त नवरात्र के दौरान मुख्य रूप से नौ दिनों में दस महाविद्याओं की पूजा-अर्चना की जाती है। इस पूजा को तंत्र-मंत्र की साधना के लिए खास माना जाता है, इसलिए यह पूजा अधिकतर अघोरियों द्वारा की जाती है।  माना जाता है कि इस पूजा अनुष्ठान को जिनता गुप्त रखा जाता है, साधक की मनोकामनाएं भी उतनी ही जल्दी पूरी होती हैं। यही कारण है कि इस नवरात्र को गुप्त नवरात्र भी कहा जाता है। इस नौ दिनों में अखंड दीप जलाया जाता है।

इन दो देवियों की पूजा का मिलेगा अवसर

इस गुप्त नवरात्रि केवल नौ देवियों के लिए नहीं बल्कि मां सरस्वती और मां नर्मदा की आराधना के लिए भी दो विशेष दिन मिलेंगे। क्योंकि गुप्त नवरात्रि के बीच ही यानी 14 फरवरी को बसंत पंचमी मनाई जाएगी, जिस दौरान मां सरस्वती की पूजा की जाती है। वहीं, 16 फरवरी को मां नर्मदा जयंती मनाई जाएगी। ऐसे में भक्तों को मां सरस्वती और मां नर्मदा की आराधना का भी अवसर प्राप्त होगा।

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