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Magh Purnima 2024: माघ पूर्णिमा पर करें इस स्तोत्र का पाठ, जीवन से कई समस्याएं होंगी दूर

हर साल माघ माह में माघी पूर्णिमा मनाई जाती है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि पर स्नान-दान करने को बहुत ही लाभकारी माना गया है। ऐसे में यदि आप पूर्णिमा के दिन श्री कनकधारा स्तोत्र का पाठ करते हैं तो इससे आपके ऊपर लक्ष्मी जी की विशेष कृपा बनी रहेगी जिससे आपको जीवन में धन की समस्या का समाना नहीं करना पड़ेगा।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 23 Feb 2024 10:00 PM (IST)
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Magh Purnima 2024: माघ पूर्णिमा पर करें इस स्तोत्र का पाठ
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Magh Purnima 2024 Date: सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि को बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन-अर्चन किया जाता है। कई साधक विशेष कृपा के लिए इस दिन व्रत भी रखते हैं। साल 2024 में 24 फरवरी, शनिवार के दिन माघ पूर्णिमा मनाई जाएगी। ऐसे में आप जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए पूर्णिमा के विशेष अवसर पर इस स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।

॥ श्री कनकधारा स्तोत्र ॥

अङ्ग हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती

भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम् ।

अङ्गीकृताखिलविभूतिरपाङ्गलीला

माङ्गल्यदास्तु मम मङ्गलदेवतायाः ॥1॥

मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः

प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि ।

माला दृशोर्मधुकरीव महोत्पले या

सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः ॥2॥

विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्ष –

मानन्दहेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि ।

ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्ध –

मिन्दीवरोदरसहोदरमिन्दिरायाः ॥3॥

आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्द –

मानन्दकन्दमनिमेषमनङ्गतन्त्रम् ।

आकेकरस्थितकनीनिकपक्ष्मनेत्रं

भूत्यै भवेन्मम भुजङ्गशयाङ्गनायाः ॥4॥

बाह्वन्तरे मधुजितः श्रितकौस्तुभे या

हारावलीव हरिनीलमयी विभाति ।

कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला

कल्याणमावहतु मे कमलालयायाः ॥5॥

कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारे –

र्धाराधरे स्फुरति या तडिदङ्गनेव ।

मातुः समस्तजगतां महनीयमूर्ति –

र्भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनायाः ॥6॥

प्राप्तं पदं प्रथमतः किल यत्प्रभावान्

माङ्गल्यभाजि मधुमाथिनि मन्मथेन।

मय्यापतेत्तदिह मन्थरमीक्षणार्धं

मन्दालसं च मकरालयकन्यकायाः ॥7॥

दद्याद् दयानुपवनो द्रविणाम्बुधारा –

मस्मिन्नकिञ्चनविहङ्गशिशौ विषण्णे।

दुष्कर्मघर्ममपनीय चिराय दूरं

नारायणप्रणयिनीनयनाम्बुवाहः ॥8॥

इष्टा विशिष्टमतयोऽपि यया दयार्द्र –

दृष्ट्या त्रिविष्टपपदं सुलभं लभन्ते।

दृष्टिः प्रहृष्टकमलोदरदीप्तिरिष्टां

पुष्टिं कृषीष्ट मम पुष्करविष्टरायाः ॥9॥

गीर्देवतेति गरुडध्वजसुन्दरीति

शाकम्भरीति शशिशेखरवल्लभेति।

सृष्टिस्थितिप्रलयकेलिषु संस्थितायै

तस्यै नमस्त्रिभुवनैकगुरोस्तरुण्यै ॥10॥

श्रुत्यै नमोऽस्तु शुभकर्मफलप्रसूत्यै

रत्यै नमोऽस्तु रमणीयगुणार्णवायै।

शक्त्यै नमोऽस्तु शतपत्रनिकेतनायै

पुष्ट्यै नमोऽस्तु पुरुषोत्तमवल्लभायै ॥11॥

नमोऽस्तु नालीकनिभाननायै

नमोऽस्तु दुग्धोदधिजन्मभूत्यै।

नमोऽस्तु सोमामृतसोदरायै

नमोऽस्तु नारायणवल्लभायै ॥12॥

सम्पत्कराणि सकलेन्द्रियनन्दनानि

साम्राज्यदानविभवानि सरोरुहाक्षि।

त्वद्वन्दनानि दुरिताहरणोद्यतानि

मामेव मातरनिशं कलयन्तु मान्ये ॥13॥

यत्कटाक्षसमुपासनाविधिः

सेवकस्य सकलार्थसम्पदः।

संतनोति वचनाङ्गमानसै –

स्त्वां मुरारिहृदयेश्वरीं भजे ॥14॥

सरसिजनिलये सरोजहस्ते

धवलतमांशुकगन्धमाल्यशोभे।

भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे

त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम् ॥15॥

दिग्घस्तिभिः कनककुम्भमुखावसृष्ट –

स्वर्वाहिनीविमलचारुजलप्लुताङ्गीम्।

प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष –

लोकाधिनाथगृहिणीममृताब्धिपुत्रीम् ॥16॥

कमले कमलाक्षवल्लभे

त्वं करुणापूरतरङ्गितैरपाङ्‌गैः।

अवलोकय मामकिञ्चनानां

प्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयायाः ॥17॥

स्तुवन्ति ये स्तुतिभिरमूभिरन्वहं

त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।

गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनो

भवन्ति ते भुवि बुधभाविताशयाः ॥18॥

मिल सकते हैं ये लाभ

माना जाता है कि इस स्तोत्र की रचना आदिगुरु शकराचार्य ने की थी। माघ पूर्णिमा पर कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। जिससे व्यक्ति को धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती। आप चाहें तो कनकधारा स्तोत्र का नियमित रूप से या फिर हर शुक्रवार के दिन कर सकतेहैं। ऐसा करने वाला साधक आर्थिक तंगी से मुक्त रहता है। 

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'