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Maha Shivratri 2023 Special: केदारनाथ धाम में आकर मुक्त हो जाते हैं सभी पाप, पढ़िए इस चमत्कारी धाम की कथा

Maha Shivratri 2023 सनातन धर्म में द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता जाता है। महाशिवरात्रि के दिन इन ज्योतिर्लिंगों का स्मरण करने मात्र से ही मनुष्य के जीवन की कई परेशानियां दूर हो जाती हैं।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Sat, 11 Feb 2023 04:56 PM (IST)
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Maha Shivratri 2023: पढ़िए केदरनाथ धाम से जुड़ी कथा और रोचक बातें।
नई दिल्ली, अध्यात्मिक डेस्क | Maha Shivratri 2023: 18 फरवरी 2023 के दिन भगवान शिव को समर्पित महाशिवरात्रि पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने से सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन देशभर के शिव मन्दिरों में लाखों की संख्या में शिवभक्त एकत्रित होते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों का ध्यान करने से साधकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इन्हीं में से एक मुख्य ज्योतिर्लिंग है केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, जो हिमालय की गोद में बसा हुआ है। यहां की खास बात यह है कि केदारनाथ धाम के कपाट 6 महीने तक खुले रहते हैं और ठंड के समय 6 महीने के लिए बंद कर दिए जाते हैं। आइए जानते हैं केदारनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़ी प्रचलित कथा और यहां का इतिहास।

केदारनाथ धाम की कथा

केदारनाथ धाम का संबंध महाभारत काल से जुड़ता है। किवदंतियों के अनुसार महाभारत के भीषण युद्ध में जब पांडवों ने सत्य पर विजय पाने के लिए और कौरवों को हराने के लिए अपने भाइयों और सगे-संबंधियों की हत्या की थी। तब उन पर कई परिवार की हत्या का पाप लग गया था। जिसके निवारण के लिए भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों को महादेव से क्षमा मांगने का सुझाव दिया। किंतु पांडवों को क्षमा करने के लिए भगवान शिव तैयार नहीं थे। इसलिए पांचों पांडवों के सामने न आने के लिए वह बैल का रूप धारण करके पहाड़ों में मवेशियों के झुंड के बीच छिप गए। लेकिन भीमसेन ने उन्हें पहचान लिया और आगे जाने से रोक दिया। शिव जी को उन्हें सभी पापों से मुक्त करना पड़ा।

जिस स्थान पर भगवान शिव की पांडवों के साथ भेंट हुई थी, उसे गुप्तकाशी के नाम से जाना जाता है, जो समय के साथ विलुप्त हो गया। इसके बाद भगवान शिव पांच सिद्ध स्वरूपों में प्रकट हुए, जिसे पंच केदार के नाम से जाना जाता है। यह पांच रूप हैं- केदारनाथ, रुद्रनाथ, तुंगनाथ मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर।

केदारनाथ धाम से जुड़ी कुछ रोचक बातें

  • केदारनाथ धाम की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी और यहीं पर उन्होंने समाधि ली थी। यहां पहुंचने के लिए गौरीकुंड से 15 किलोमीटर पदयात्रा करनी पड़ती है। मान्यता है कि केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से व्यक्ति को जन्मों-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिल जाती है और उसे मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।

  • केदारनाथ धाम मंदिर के कपाट केवल 6 महीनों के लिए ही खुलते हैं और 6 महीने बंद कर दिए जाते हैं। इस धाम के कपाट दिवाली के बाद बंद होते हैं और कपाट बंद करने से पहले यहां एक दीप प्रज्वलित किया जाता है। फिर वैशाखी के बाद महादेव भक्तों को दर्शन देते हैं। खास बात यह है कि इन 6 महीनों में यहां जलाया गया दीपक निरंतर जलता रहता है।

  • 16 जून 2013 को केदारनाथ धाम में आई प्राकृतिक प्रलय ने बहुत तबाही मचाई थी। लेकिन इस जल प्रलय से केदारनाथ मंदिर को एक भी आंच नहीं आई। ऐसा इसलिए क्योंकि विशालकाय चट्टान मंदिर के पीछे पहाड़ से आ गिरा था, जिसने पानी के बहाव को दो भाग में बांट दिया, जिसके कारण मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।