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Mahabharat: महाभारत से जुड़ी 4 अनकही कथाएं, जिनके तथ्य आज भी हैं मौजूद

Mahabharat 3 दिसंबर को देशभर में गीता जयंती पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस दिन भगवत गीता और महाभारत से जुड़ी कथाओं को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया जाता है। आज हम आपको बताएंगे महाभारत से जुड़ी ऐसी कथाएं जिनके तथ्य आज भी मौजूद हैं।

By Shantanoo MishraEdited By: Updated: Fri, 02 Dec 2022 06:19 PM (IST)
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Mahabharat: महाभारत की कुछ ऐसी कथाएं जिनके साक्ष्य आज भी मौजूद हैं।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Mahabharat, Gita Jayanti 2022: महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण ने धनुर्धर अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। जिनका श्रवण और पाठन आज भी बड़ी भक्ति भाव से किया जाता है। बता दें कि हर वर्ष मनाए जाने वाले गीता जयंती पर्व पर श्रीमद्भागवत गीता की पूजा का विधान शास्त्रों में वर्णित है। मान्यता है कि इस दिन श्री कृष्ण के साथ-साथ भगवत गीता की उपासना करने से भक्तों के जीवन में आ रहे सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस वर्ष यह पर्व 03 दिसम्बर 2022 (Gita Jayanti 2022 Date) के दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।

कुरुक्षेत्र की भूमि पर हुए इस धर्म-युद्ध से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाभारत से जुड़ी कुछ ऐसी भी गाथाएं हैं, जिनके साक्ष्य आज भी प्रत्यक्ष रूप से मौजूद हैं। आइए जानते हैं 4 ऐसी अनकही कथाएं, जिनसे जुड़े मठ-मन्दिर या चिन्ह आज भी उपस्थित हैं।

कुरुक्षेत्र में है प्राचीन कुआं

कुरुक्षेत्र वही नगरी है जहां महाभारत का महान युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया था। हरियाणा राज्य में स्थित इस नगरी में ही भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को ब्रह्म ज्ञान दिया था, जिसे आज हम भगवत गीता के नाम से जानते हैं। पुरातत्व सर्वेक्षण में महाभारत काल के कई अवशेष इसी स्थान से प्राप्त हुए हैं जिनमें बाण, भाले इत्यादि चीजें शामिल हैं। कुरुक्षेत्र में आज भी एक प्राचीन कुआं मौजूद है, जहां कर्ण ने युद्ध के समय चक्रव्यूह की रचना की थी और अभिमन्यु को धोखे से मार दिया था।

महाभारत से जुड़ी है खाटू श्याम भगवान की कथा

महाभारत में बताया गया है कि घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक इतने बलशाली थे कि वह युद्ध में केवल तीन बाण लेकर उतरे थे। श्री कृष्ण को यह पता था कि बर्बरीक अगर युद्धभूमि में उतरे तो कुछ मिनटों में ही युद्ध खत्म हो जाएगा। ऐसे में उन्हें रोकने के लिए भगवान ने एक ब्राह्मण का वेश धारण कर बर्बरीक से उनका शीश दान में मांग लिया। साथ ही यह वरदान भी दिया कि कलियुग में उन्हें श्याम अर्थात स्वयं श्री कृष्ण के नाम से ही पूजा जाएगा। लेकिन बर्बरीक ने भी श्री कृष्ण के सामने यह इच्छा प्रकट करते हुए कहा कि मैं इस युद्ध का परिणाम देखना चाहता हूं। तब बर्बरीक के धड़ को युद्ध क्षेत्र से दूर रखा गया था और जिस स्थान पर उनका धड़ रखा गया, आज वहां भगवान खाटू श्याम जी का मंदिर मौजूद है। यह मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में है और यहां लाखों की संख्या में भक्त खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं।

हनुमान जी और भीम के बीच हुई भेंट के साक्ष्य

हम सभी उस गाथा से परिचित है, जिसमें बताया गया था कि एक पर्वत पर जब हनुमान जी और बाहुबली भीम की भेट हुई थी। तब भीम ने हनुमान जी को रास्ते  से अपने पूंछ को हटाने के लिए कहा। हनुमान जी भीम को पलटकर कहा की वह स्वयं ही इस पूछ को किनारे कर दें। लेकिन भीम उस पूंछ को हटा नहीं पाए थे। इतिहासकार और विद्वान बताते हैं कि यह घटना उत्तराखंड में जोशीमठ से लगभग 25 क‌िलोम‌ीटर दूरी पर हनुमान चट्टी पर हुई थी। तब हनुमान जी ने भीम को महाभारत में विजय होने का आशीर्वाद दिया था।

ब्रह्मास्त्र से हो गया था सिंधु घाटी का विनाश

वेदों में ब्रह्मास्त्र को सबसे विनाशकारी अस्त्र बताया गया है। लेकिन महाभारत में गुरु द्रोण के पुत्र अश्वत्थामा ने अर्जुन पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया था। लेकिन उसे इस विनाशकारी अस्त्र को लौटाना नहीं आता था। अपने सामने ब्रह्मास्त्र आता देख अर्जुन भयभीत हो गए और उन्होंने श्री कृष्ण से सुझाव मांगा। तब श्री कृष्ण ने अर्जुन को भी इस विनाशकारी अस्त्र को रोकने के लिए अपने ब्रह्मास्त्र के इस्तेमाल करने का सुझाव दिया। साथ ही उन्होंने यह समझाया कि तुम अपने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग अपने प्राणों की और अपने भाइयों के प्राणों की रक्षा के लिए कर रहे हो। तब अर्जुन ने भी इस अस्त्र का उपयोग किया। इस अस्त्र के प्रयोग के कारण लाखों की संख्या में लोगों की जान चली गई। जिस स्थान पर ब्रह्मास्त्र गिरा वहां सिन्धु घाटी के लोग रहते थे। सिन्धु घाटी के विनाश का यही कारण था।

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