Move to Jagran APP

Mahabharat katha: कैसे हुआ भीष्म पितामह की सौतेली मां सत्यवती का जन्म, हैरान कर देगी ये कथा

भीष्म पितामह के पिता शांतनु सत्यवती की सुंदरता पर मोहित हो गए थे। लेकिन सत्यवती के पिता ने शांतनु से उसके विवाह से पहले यह शर्त रखी थी कि सत्यवती के द्वारा उत्पन्न पुत्र ही आग चलकर राजा बनेगा। ऐसे में शांतनु और सत्यवती के विवाह में कोई अड़चन न आए इसलिए भीष्म द्वारा जीवनभर विवाह न करने की प्रतिज्ञा ली गई थी।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 25 Oct 2024 06:43 PM (IST)
Hero Image
Mahabharat Satyavati katha भीष्म पितामह की सौतेली मां सत्यवती का कैसे हुआ जन्म
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाभारत (Mahabharat Katha) में ऐसी कई कथाएं हैं, जो व्यक्ति को चकित कर सकती हैं। आज हम आपको राजा शांतनु की दूसरी पत्नी यानी सत्यवती के जन्म की कथा बताने जा रहे हैं, जो बड़ी ही रोचक है। अधिकतर लोग सत्यवती को मछुआरों के मुखिया दासा की पुत्री के रूप में जानते होंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि सत्यवती असल में एक राजा की पुत्री थी।

ये मिलती है कथा

कथा के अनुसार, एक बार राजा सुधन्वा एक बार वन में शिकार खेलने गए। इसी बीच उनकी पत्नी रजस्वला हो गई और उनके मन में गर्भधारण करने की इच्छा जागृत हुई। तब रानी ने एक पक्षी के द्वारा राजा तक यह संदेश पंहुचाया। राजा ने एक पात्र में अपना वीर्य देकर पक्षी को रानी तक पहुंचाने के लिए कहा। लेकिन इस बीच पक्षी से वह वीर्य नदी में गिर गया। उस नदी में एक मछली ने उस वीर्य को ग्रहण कर लिया, जो असल में एक अप्सरा थी, लेकिन ब्रह्मा जी के श्राप से मछली में परिवर्तित हो गई थी।

(Picture Credit: Freepik) (AI Image)

यह भी पढ़ें - Diwali 2024: दीपोत्सव पर मां लक्ष्मी के इन मंदिरों के जरूर करें दर्शन, भरपूर मिलेगी कृपा

मछली से उत्पन्न हुए लड़का और लड़की

वह मछली गर्भवती हो गई और एक दिन उसे मछुआरे ने पकड़ लिया। विशाल होने के कारण वह मछली को राजा सुधन्वा के दरबार में ले गया। जब मछली का पेट चीरा गया तो उसमें से एक लड़का और एक लड़की निकली। राजा ने लड़के को अपने पास रख लिया था और लड़की को मछुआरे को सौंप दिया।

ऋषि पराशर ने दिया वरदान

मछुआरे ने बड़े ही लाड़-प्यार से उस कन्या को पाला। जैसे-जैसे वह बड़ी होती गई, वैसे-वैसे ही बहुत खूबसूरत भी होती रही। मछुआरों की बस्ती में रहने के कारण उसका नाम मत्स्यगंधा पड़ गया। आगे चलकर ऋषि पराशर ने मत्स्यगंधा को यह वरदान दिया था उसके शरीर से एक उत्तम सुंगध निकलेगी, जिससे वह सत्यवती कहलाई।

यह भी पढ़ें - Khatu Shyam Ji: आखिर बर्बरीक कैसे बने खाटू श्याम, जानें कब मनाया जाता है हारे के सहारे का जन्मदिन?

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।