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Mahabharat Yudh: महाभारत युद्ध के लिए बनाए गए थे ये नियम, इतनी बार हुआ उल्लंघन

महाभारत की कथा (Mahabharat Katha) आज की पीढ़ी के लिए काफी कुछ शिक्षा देती है। यह युद्ध मुख्य रूप से कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया था जो इतिहास के सबसे भीषण युद्धों में शामिल है। यह युद्ध लगभग 18 दिनों तक लड़ा गया था। अंत में पांडवों की जीत हुई और कौरवों को हार का सामना करना पड़ा।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 08 Oct 2024 03:27 PM (IST)
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Mahabharat Yudh जानिए महाभारत युद्ध के नियम।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। इस युद्ध में कई वीर योद्धाओं ने भाग लिया था। वहीं भगवान कृष्ण भी इस युद्ध के साक्षी रहे और उन्होंने धनुर्धर अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई। युद्ध से पहले दुर्योधन और युधिष्ठिर के बीच कुछ नियम तय हुए थे जिनके आधार पर युद्ध लड़ा जाना था। ऐसे में चलिए जानते हैं महाभारत युद्ध के दौरान किन नियमों का ध्यान रखा गया था।

यह थे युद्ध नियम

  • युद्ध में भाग ले रहे दोनों पक्षों के बीच तय आचार संहिता का पालन करना जरूरी था।
  • युद्ध केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही लड़ा जाता था।
  • युद्ध में रथी -रथी (रथ पर सवार) से, हाथी पर सवार योद्धा-हाथी सवार योद्धा से और पैदल सैनिक-पैदल सैनकि से ही लड़ सकता था।
  • एक वीर एक समय में केवल एक ही वीर युद्ध कर सकता था। कई योद्धा मिलकर एक ही योद्धा पर हमला नहीं कर सकते थे।

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  • भय के कारण भाग जाने वाले या फिर शरण में आए हुए लोगों पर हमला नहीं किया जा सकता था।
  • यदि युद्ध लड़ते समय कोई वीर निहत्था हो जाए, तो उसपर अस्त्र से वार नहीं किया जा सकता था, बल्कि उसे अपना शस्त्र उठाने का मौका दिया जाता था।
  • युद्ध में सेवक का काम कर रहे लोग, अर्थात घायलों की सेवा कर रहे लोगों पर हमला नहीं किया जा सकता था।
  • सूर्यास्त के बाद युद्ध की समाप्ति के बाद दोनों दल एक-दूसरे से छल-कपट नहीं कर सकते थे।
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कब-कब टूटे नियम

महाभारत के युद्ध में कई बार इन नियमों का उल्लंघन भी हुआ। जिसमें अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु पर चक्रव्यूह में फंस जाने के बाद एक साथ कई लोगों ने हमला किया। उस समय वह निहत्था हो गया था। एक बार नियमों का उल्लंघन तब भी हुआ जब कर्ण अपने रथ का पहिया फंस जाने के कारण उसे रथ से उतरकर निकालने का प्रयास करता है, लेकिन इसी दौरान अर्जुन निहत्थे कर्ण पर बाण चला देता है।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।