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Mahabharat Yudh: द्रौपदी ने क्यों दिया था भीम के बेटे को श्राप, जो बना उसकी मृत्यु का कारण

घटोत्कच भीम और हिडिम्बा के बेटे थे जिसका वर्णन महाभारत ग्रंथ में विशालकाय शरीर वाले योद्धा के रूप में मिलता है। एक कथा के अनुसार घटोत्कच को द्रौपदी के एक श्राप (Draupadi curse) का सामना करना पड़ा था जो उसके मृत्यु का कारण भी बना। तो चलिए जानते हैं कि द्रौपदी ने घटोत्कच को क्यों और क्या श्राप दिया था।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 10 Oct 2024 05:32 PM (IST)
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Draupadi curse द्रौपदी ने क्यों दिया था भीम के बेटे को श्राप

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाभारत की कथा (Mahabharat Katha) आज भी प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। द्रौपदी महाभारत के मुख्य पात्रों में से एक रही है। कई लोग द्रौपदी द्वारा दुर्योधन का अपमान करने को भी महाभारत का कारण मानते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि द्रौपदी ने भीम के पुत्र को ऐसा कौन-सा श्राप दिया था, जिसके कारण उसे कम उम्र में ही मृत्यु का सामना करना पड़ा।

द्रौपदी को महसूस हुआ अपमान

कथा के अनुसार, एक बार घटोत्कच का अपने पिता भीम के साथ पांडवों के राज्य देखने आया। हिडिंबा ने घटोत्कच को यह कहकर भेजा था कि तुम द्रोपदी का सम्मान मत करना। अपनी मां के कहने पर घटोत्कच ने भरी सभा में भी द्रोपदी को कोई सम्मान नहीं दिया। जिस कारण द्रौपदी को अपमान महसूस हुआ।

घटोत्कच को दिया यह श्राप

इससे द्रोपदी बहुत ही क्रोधित हो गई और उसने क्रोध में घटोत्कच से कहा कि मैं पांडवों की पत्नी और एक राजा की पुत्री हूं और मेरा सम्मान इस सभा में कई अधिक है। तुमने अपनी राक्षसी मां के कहने पर मुझे भरी सभा में अपमानित किया है और अब तुम्हें इसका परिणाम झेलना होगा। तब द्रौपदी ने घटोत्कच को यह श्राप दिया कि तुम्हारी कम उम्र में ही मृत्यु हो जाएगी और तुम बिना युद्ध लड़े ही मारे जाओगे।

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कर्ण ने चलाया अमोघ अस्त्र

घटोत्कच को द्रौपदी द्वारा दिए गए श्राप के परिणाम स्वरूप ही युद्ध भूमि में अपने प्राण गंवाने पड़े। महाभारत के युद्ध के दौरान कर्ण ने अपने परम मित्र दुर्योधन के कहने पर घटोत्कच पर अमोघ अस्त्र से प्रहार कर दिया था। हालांकि वह इस अस्त्र का प्रयोग अर्जुन पर करना चाहता था। कर्ण के अमोघ अस्त्र से घटोत्कच बच न सका और उसकी बिना लड़े ही मृत्यु हो गई।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।