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Mahabharat: कुंती ने भगवान श्रीकृष्ण से क्यों मांगा दुखों का वरदान? कारण जानकर रह जाएंगे हैरान

महाभारत एक ऐसा धार्मिक ग्रंथ हैं जो मनुष्य को जीवन जीने की सीख देता है। महाभारत काल में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जो व्यक्ति को आश्चर्य में डाल देती हैं। ऐसी ही एक घटना है जब माता कुंती स्वयं भगवान कृष्ण से दुखों का वरदान मांगती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि इसके पीछे का असल कारण क्या है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 15 May 2024 02:17 PM (IST)
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Mahabharat Kunti कुंती ने भगवान श्रीकृष्ण से क्यों मांगा दुख भोगने का वरदान?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mahabharat story: कुंती, पांडवों की माता थी। कर्ण भी कुंती का ही पुत्र था। जब किसी को यह मौका मिलता है कि वह भगवान से कोई वरदान मांग सके, तो सभी केवल अच्छा वरदान ही मांगना पसंद करते हैं। लेकिन कुंती ने इसके विपरीत भगवान कृष्ण दुख और वित्ती का वरदान मांगा। यह सुनकर किसी को भी हैरानी हो सकती है। लेकिन जब आप इसके पीछे का कारण जानेंगे, तो हैरान रह जाएंगे।

इसलिए मांगा दुख

महाभारत के प्रसंग के अनुसार, महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद युधिष्ठिर राजा बन गए। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने तय किया कि अब द्वारका लौटना चाहिए। श्रीकृष्ण सभी से विदा लेने लगे। अंत में वह पांडवों की माता, जो रिश्ते में श्रीकृष्ण की बुआ लगती थीं उनसे विदा लेने गए। तब उन्होंने कुंती से कहा कि आज तक अपने लिए मुझसे कुछ नहीं मांगा, मैं आपको कुछ देना चाहता हूं, इसलिए जो आपके मन में हो वह मांग लीजिए। इस पर कुंती कहती है कि यदि आप मुझे कुछ देना ही चाहते हैं तो दुख दे दीजिए।

कुंती ने बताया कारण

इससे भगवान कृष्ण आश्चर्य में पड़ जाते हैं और कुंती से इसका कारण पूछते हैं। ऐसे में इसका कारण समझाते हुए कुंती कहती है कि यह मानव का स्वभाव है कि वह सुख के समय में भगवान को भूल जाता है और केवल दुख के समय में ही भगवान को याद करता है। कुंती आगे कहती है कि आप (भगवान कृष्ण) मुझे केवल दुख में ही याद आते हो।

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ऐसे में यदि जीवन में दुख रहेगा, तो मैं तुम्हारी भक्ति करती रहूंगी। क्योंकि सुख के दिनों में तो मन भक्ति में लगता ही नहीं है। मैं हर पल तुम्हारा ही ध्यान करना चाहती हूं, इसलिए दुख मांग रही हूं। यह सुनकर श्रीकृष्ण काफी प्रभावित हुए और उन्होंने कुंती को उसकी इच्छा के अनुसार ही दुख का वरदान दे दिया।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।