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Mahabharat: युधिष्ठिर ने कुंती को दिया था ये श्राप, जिसे आज भी झेल रही हैं महिलाएं

महाभारत में एक प्रसंग मिलता है जिसमें यह वर्णन किया गया है कि माता कुंती को अपने ही पुत्र युधिष्ठिर से श्राप मिला था। साथ ही यह भी माना जाता है कि इस श्राप का प्रभाव आज भी महिलाओं पर है। जिस कारण वह किसी भी बात को अपने पेट में छिपाकर नहीं रख पाती। चलिए जानते हैं इस श्राप से जुड़ा प्रसंग।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 06 Jun 2024 02:47 PM (IST)
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Mahabharat: युधिष्ठिर ने कुंती को दिया था ये श्राप।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाभारत काल में ऐसी कई घटनाएं घटित हुई है, जो आज भी स्मरणीय हैं। महाभारत युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाभारत काल में दिया गया एक श्राप आज भी महिलाओं पर काम कर रहा है। चलिए जानते हैं वह श्राप क्या है और किसके द्वारा किसको दिया गया था।

ये दिया था श्राप

कथा के अनुसार, जब महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ तब माता कुंती कर्ण के शव को अपनी गोद में लेकर रो रही थीं। यह दृश्य देखकर पांडव हैरान हो गए और कुंती के शत्रु की मृत्यु पर आंसू बहाने का कारण पूछने लगे। तब कुंती ने बताया कि कर्ण उनका सबसे बड़ा पुत्र है।

इस बात को सुनकर युधिष्ठिर क्रोधित हो उठे और उन्होंने अपनी माता कुंती को श्राप देते हुए कहा कि अब से पूरी स्त्री जाति कोई भी बात अपने पेट में नहीं छिपा पाएगी। तब से ऐसा माना जाता है कि यह श्राप आप भी महिलाओं पर काम कर रहा है।

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कैसे हुआ कर्ण का जन्म

कर्ण के जन्म को लेकर भी एक बड़ी ही रोचक कथा महाभारत ग्रंथ में मिलती है, जिसके अनुसार, एक बार ऋषि दुर्वासा, कुंती की सेवा से अति प्रसन्न होते हैं। तब वह कुंती को एक मंत्र प्रदान करते हैं और कहते हैं कि इस मंत्र के जाप द्वारा तुम जिस भी देवता का आवाहन करोगी, तुम्हें उसी देव पुत्र की प्राप्ति होगी।

तब कुंती के मन में इस मंत्र का परीक्षण करने का ख्याल उठा और उसने सूर्य देवता का आवाहन किया। तब सूर्य देव से उन्हें कवच कुंडल धारी कर्ण की प्राप्ति हुई। लेकिन लोकलाज के डर से कुंती ने इस बालक को एक संदूक में रखकर नदी में बहा दिया।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।