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Mahabharat Yudd: महाभारत के इन पात्रों से लें जीवनोपयोगी सीख, कई समस्याओं से बच जाएंगे आप

महाभारत युद्ध से तो व्यक्ति सीख ले ही सकता है इसके साथ ही युद्ध का हर एक पात्र भी व्यक्ति को कुछ-न-कुछ शिक्षा देखा है। ऐसे में आइए जानते हैं कि महाभारत के पात्रों द्वारा की गई ऐसी कौन-सी गलतियां हैं जिन्हें हमें अपने जीवन में नहीं दोहराना चाहिए वरना कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 15 Feb 2024 06:22 PM (IST)
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Mahabharat इन पात्रों से लें जीवनोपयोगी सीख

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mahabharat Characters: महर्षि वेद-व्यास द्वारा रचित ग्रंथ महाभारत हिंदू धर्म की महत्वपूर्ण कृतियों में से एक है। कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया था। यह युद्ध इतना भीषण था कि आज भी इस भूमि पर युद्ध के निशान देखे जा सकते हैं। महाभारत में ऐसे कई पात्र हैं जिनकी गलतियों के कारण उन्हें कष्ट सहने पड़े।

धर्मराज युधिष्ठिर

युधिष्ठिर को धर्मराज भी कहा जाता था, क्योंकि उन्हें धर्म का ज्ञान था। लेकिन इसके बाद भी उन्हें जुए में अपना सब कुछ हारना पड़ा। इससे व्यक्ति को यह शिक्षा मिलती है कि कभी भी जुआ नहीं खेलना चाहिए, अन्यथा यह व्यक्ति के चरित्र से लेकर उसकी आर्थिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव डालता है।

कर्ण

कर्ण महाभारत के सबसे महत्वपूर्ण किरदारों में से एक है। वह महाभारत का सबसे शक्तिशाली योद्धा में से था, लेकिन फिर भी उसे हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में कर्ण से यह शिक्षा लेनी चाहिए कि हमें कभी भी दुष्ट लोगों का उपकार नहीं लेना चाहिए। क्योंकि दुर्योधन के उपकार के चलते ही कर्ण को युद्ध में अधर्म का साथ देना पड़ा जो अंत में उसकी मृत्यु का कारण बना।

दुर्योधन

दुर्योधन, जो महाभारत के नकारात्मक पत्रों में से एक है, उसके चरित्र से भी मनुष्य बहुत कुछ सीख सकता है। हस्तिनापुर का राजकुमार होने के बावजूद दुर्योधन को अंत में हार ही मिली। ऐसे में हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में जिद्द और दूसरों की चीजों पर अधिकार जमाना हमारे लिए मुसीबत बन सकता है।

धृतराष्ट्र

दुर्योधन के पिता, धृतराष्ट्र पुत्र के मोह में इतने अंधे हो चुके थे कि सही-गलत के बीच का अंतर जानते हुए भी उन्होंने हमेशा अपने पुत्र का ही साथ दिया। जिस कारण उन्होंने पांडव के साथ अन्याय किया। इसका परिणाम यह हुआ कि अंत में उनके सौ पुत्रों की मृत्यु हो गई। इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि कोई आपका कितना भी प्रिय क्यों न हो, लेकिन गलत बात में उसका साथ नहीं देना चाहिए।

दुशासन

दुशासन भी महाभारत के नकारात्मक पत्रों में से एक है। उसने अपने भाई दुर्योधन के कहने पर द्रौपदी का अपमान किया और भरी सभा में उसका चीर हरण किया। जिसके परिणामस्वरूप उसे भी युद्ध भूमि में मृत्यु प्राप्त हुई। ऐसे में इससे हमें सबक लेना चाहिए कि कभी किसी स्त्री का अपमान न करें।

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