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Mahabharat Yudh: इस वजह से हुआ था भगवान कृष्ण की द्वारका का अंत, जानिए इसके पीछे का रहस्य

गांधारी राजा धृतराष्ट्र की पत्नी और कौरवों की माता थीं। वे अपने सौ पुत्रों को खोने की वजह से अत्यंत दुखी थीं। इसी वजह से उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को श्राप दिया था कि उनके सामने ही उनके वंश का नाश हो जाएगा जो सही भी सिद्ध हुआ था। महाभारत युद्ध (Mahabharat Yudh) के कुछ सालों बाद ही पूरी द्वारका नगरी पानी में डूब गई थी।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Thu, 07 Mar 2024 01:20 PM (IST)
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Mahabharat Yudh: इस वजह से हुआ द्वारका का विनाश
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mahabharat Yudh: बेयट द्वारका में भगवान कृष्ण का एक प्राचीन मंदिर है, जो भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित मंदिर है। पानी में स्थित इस पवित्र मंदिर को लेकर कई सारी धार्मिक मान्यताएं और पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। प्रसिद्ध मान्यताओं के अनुसार, द्वारका नगरी के विनाश का कारण महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक गांधारी को माना जाता है, जिसकी वजह जानकर आपको भी हैरानी होगी। तो आइए जानते हैं -

गांधारी भगवान कृष्ण को मानती थीं दोषी

आपको बता दें, गांधारी राजा धृतराष्ट्र की पत्नी और कौरवों की माता थीं। महाभारत युद्ध (Mahabharat Yudh) के दौरान देवी गांधारी को अपने सौ पुत्रों के सवर्नाश को देखना पड़ा था, जिसके चलते हैं वे अत्यंत क्रोध और पीड़ा से भरी थीं और वे अपने इस दुख की वजह भगवान श्री कृष्ण को मानती थीं।

दरअसल, युद्ध के दौरान मुरलीधर (Shri Krishna) ने कौरवों के विपक्षी पांडवों (Pandavas) का साथ दिया था, जिस वजह से उनकी जीत हुई और गांधारी के सौ पुत्रों की मृत्यु।

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इस वजह से हुआ द्वारका का विनाश

अपने पुत्रों को खोने की वजह से माता गांधारी (Gandhari) ने क्रोध में आकर भगवान श्रीकृष्ण को यह श्राप दिया था कि 'जिस प्रकार मेरे कुल का नाश हुआ है उसी प्रकार तुम्हारे वंश का नाश भी तुम्हारी आंखों के सामने होगा।' ऐसा माना जाता है कि देवी गांधारी के इस श्राप के चलते महाभारत युद्ध के कुछ सालों बाद ही पूरी द्वारका नगरी पानी में समाहित हो गई थी और उनका श्राप सही सिद्धि हुआ था। हालांकि भगवान कृष्ण को माता गांधारी के इस श्राप की प्रतिक्षा थी, जिसके चलते उन्होंने इसे वरदान समझकर स्वीकार्य किया था।

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