Move to Jagran APP

Mahabharata Yuddh: इन योद्धाओं ने नहीं लिया था महाभारत में भाग, अब लड़ेंगे चौथा धर्मयुद्ध

महाभारत का युद्ध इतिहास के सबसे भीषण युद्धों में से एक माना जाता है। यह युद्ध मुख्य रूप से कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया था। लेकिन कई योद्धा ऐसे भी हैं जो ये धर्मयुद्ध नहीं लड़ पाए थे। संत अच्युतानंद की पुस्तक भविष्य मालिका में कुछ ऐसे पात्रों का वर्णन किया गया है जो कलियुग का धर्म युद्ध लड़ेंगे। आइए जानते हैं उनके विषय में।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 12 Jun 2024 01:55 PM (IST)
Hero Image
Mahabharata Yuddh: इन योद्धाओं ने नहीं लिया था महाभारत में भाग।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पुराणों में वर्णन मिलता है कि कलयुग में अंत में भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा, जो भगवान विष्णु के दसवें अवतार होंगे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, विष्णु जी के कल्कि अवतार कलयुग का चौथ धर्म युद्ध लड़ेंगे, जिसके बाद पुनः धर्म की स्थापना होगी। चलिए जानते हैं कि कल्कि अवतार के साथ-साथ यह चौथा धर्म युद्ध कौन-कौन लड़ने वाला है।

ये हैं अब तक के धर्म युद्ध

सबसे पहला धर्म युद्ध में देवताओं और दैत्यों के बीच हुआ था, जिसे देवासुर संग्राम के नाम से जाना जाता है। वहीं दूसरा धर्म युद्ध त्रेतायुग में भगवान राम और रावण के बीच हुआ था। तीसरा धर्म युद्ध महाभारत के रूप में हुआ था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चौथा धर्म युद्ध कलयुग में लड़ा जाएगा।

ये नहीं लड़ पाए थे युद्ध

बर्बरीक जिन्हें आज खाटू श्याम नाम से जाना जाता है, वह महाभारत का युद्ध नहीं लड़ सके थे, क्योंकि भगवान कृष्ण ने उनसे शीश का दान मांग लिया था। लेकिन ऐसा माना जाता है कि चौथे धर्म युद्ध में वह कल्कि भगवान का साथ देंगे। इसके साथ ही को कौरवों के सौतेले भाई युयुत्सु भी चौथे धर्म युद्ध में भाग लेंगे। कौरवों का भाई होने के बाद भी उन्होंने पांडवों का साथ देने का निर्णय लिया था, लेकिन उन्हें युधिष्ठिर द्वारा युद्ध के हथियारों आदि की व्यवस्था देखने के लिए नियुक्त किया गया था।

ये नहीं थे युद्ध के पक्ष में

श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम ने भी महाभारत का युद्ध नहीं लड़ा था। उन्होंने दुर्योधन और भीम दोनों को ही गथा सिखाई थी। इसलिए वह इस युद्ध के विरोध में थे। इसके साथ ही हस्तिनापुर के राज्य मंत्री विदुर ने भी इस युद्ध में भाग नहीं लिया था, क्योंकि वह धर्म संकट में थे कि वह किसकी ओर से युद्ध लड़ें।

इन्होंने भी नहीं लिया भाग

उडुपी के राजा ने महाभारत के युद्ध के दौरान कौरव और पांडवों के भजन का प्रबंध संभाला था, लेकिन वह युद्ध में शामिल नहीं हुए। इसी प्रकार वेदव्यास ने कौरवों और पांडवों दोनों को शिक्षा दी थी। उन्होंने ही महाभारत ग्रंथ की रचना भी की, लेकिन वह महाभारत युद्ध से दूर रहे।

यह भी पढ़ें - Yama Dharmaraja Temple: इन 3 मंदिरों में लगती है यम देवता की कचहरी, इनमें एक है हजार साल पुराना

इन्होंने भी युद्ध से बनाई दूरी

संजय ने भी युद्ध में भाग नहीं लिया था, लेकिन अपनी दिव्य दृष्टि द्वारा उन्होंने पूरे युद्ध का हाल नेत्रहीन राजा धृतराष्ट्र को सुनाया था। नेत्रहीन होने के कारण धृतराष्ट्र भी महाभारत में भाग नहीं ले पाए थे। वहीं श्री कृष्ण की प्रथम पटरानी रुक्मणी के भाई रुक्मी युद्ध में भाग लेना चाहते थे, लेकिन उसकी शेखी बघारने की आदत के कारण उसे किसी भी पक्ष ने युद्ध में शामिल नहीं किया।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।