Mahabharata War: सैकड़ों लोगों ने लड़ा था महाभारत का युद्ध, लेकिन बचे केवल ये 12 योद्धा
पृथ्वी का सबसे बड़ा महाभारत युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया था। जो 18 दिनों तक चला। इसमें स्वयं श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी बनकर शामिल हुए। पर क्या आप जानते हैं कि इस युद्ध के बाद केवल 12 लोग जीवित बचें। आइए जानते हैं उनके बारे में।
By Jagran NewsEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Wed, 17 May 2023 06:10 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Mahabharata War: पुराणों के अनुसार कुरुक्षेत्र में लड़ा गया महाभारत का युद्ध, धरती पर लड़ा गया सबसे बड़ा युद्ध है। कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध में इतना खून बहा कि अब तक वहां की मिट्टी लाल है। इस युद्ध में भी अंत में यही संदेश मिला की बुराई चाहे कितनी ताकतवर हो उसकी हमेशा हार होती है।
18 दिनों तक चला युद्ध
महाभारत में स्वयं भगवान कृष्ण भी शामिल थे। लेकिन उन्होंने हथियार न उठाने का प्रण लिया था इसलिए वह अर्जुन के सारथी बने। एक तरफ कौरव सेना थी और दूसरी तरफ पांडव सेना। यह युद्ध 18 दिनों तक चला था।
धर्म का साथ देने वाले 5 पांडव
महाभारत के युद्ध के बाद धर्म का साथ देने वाले 5 पांडव जीवित बचे। जिसमें - युधिष्ठिर, भीमसेन, अर्जुन, नकुल तथा सहदेव शामिल हैं। हालांकि इस युद्ध में भीम और अर्जुन के पुत्र मारे गए।यादवों के सेनापति थे सात्यकि
युद्ध के बाद श्रीकृष्ण और उसके अभिन्न मित्र सात्यकि जीवित बचे। सात्यकि यादवों के सेनापति थे। सात्यकि ने अर्जुन से ही धनुर्विद्या सीखी थी। इसलिए उसने यह प्रण लिया था कि वह कभी अर्जुन के विरुद्ध युद्ध नहीं लड़ेगा। भले ही कृष्ण की नारायणी सेना ने कौरवों की ओर से युद्ध लड़ा हो लेकिन सात्यकि पांडवों के पक्ष में ही रहा।
ज्येष्ठ कौरव था युयुत्सु
युयुत्सु भी धृतराष्ट्र का ही पुत्र था लेकिन एक दासी की संतान होने की वजह से उसे भी उपयुक्त सम्मान नहीं मिला। वह हमेशा धर्म के पक्ष में रहा। कौरवों में सबसे बड़ा युयुत्सु ही था। उसका जन्म दुर्योधन से भी पहले हुआ था। इस युद्ध में यह महान योद्धा भी जीवित रहा।8 चिरंजीवियों में से एक है अश्वत्थामा
अश्वत्थामा द्रोणाचार्य का पुत्र था। अश्वत्थामा को अमरता श्राप के रूप में मिली थी। महाभारत के युद्ध के दौरान अपने पिता द्रोणाचार्य के वध का बदला लेने के लिए पांडवों के सोते हुए पुत्रों का वध कर दिया था। जिसके बाद श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को यह श्राप दिया था।