Mahalaya 2023: कलश स्थापना से पहले करें ये काम, मिलेगा मां दुर्गा का आशीर्वाद
Mahalaya 2023 व्रतियों को महाल्या से जुड़ी कुछ बातें जान लेनी चाहिए जिससे उनसे कोई चूक न हो और मां दुर्गा की पूरी कृपा उनके ऊपर बनी रहे। उन लोगों के लिए विशेष सावधानियां हैं जो नौ दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं ऐसे में उन्हें कलश स्थापना से पहले सभी बातों को अच्छे से जान लेना चाहिए। ताकि उनकी पूजा में कोई विघ्न न पड़े।
By Jagran NewsEdited By: Pravin KumarUpdated: Fri, 13 Oct 2023 10:19 AM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क।Mahalaya 2023: 15 अक्टूबर से नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। इस दौरान लोग मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इन दिनों मां से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। लेकिन व्रतियों को इससे जुड़ी कुछ बातें जान लेनी चाहिए, जिससे उनसे कोई चूक न हो और मां की पूरी कृपा उनके ऊपर बनी रहे। उन लोगों के लिए विशेष सावधानियां हैं, जो नौ दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं, ऐसे में उन्हें कलश स्थापना से पहले सभी बातों को अच्छे से जान लेना चाहिए। ताकि उनकी पूजा में कोई विघ्न न पड़े।
मां भगवती की स्थापना से पहले खुद को करें पवित्रमहाल्या के दिन यानी नवरात्रि के ठीक एक दिन पहले खुद को पवित्र करें। खासकर, वे लोग जो दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं, उन्हें इस दिन नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर पूरे विधि-विधान के साथ खुदको पवित्र करना चाहिए। इसके बाद नए वस्त्र पहनकर मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। साथ ही नवरात्रि स्थापना के लिए सामान लाना चाहिए।
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ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।पिण्डज प्रवरा चण्डकोपास्त्रुता।प्रसीदम तनुते महिं चंद्रघण्टातिरुता।।
पिंडज प्रवररुधा चन्दकपास्कर्युत । प्रसिदं तनुते महयम चंद्रघंतेति विश्रुत।महालया का धार्मिक महत्वसनातन धर्म में महालया अमावस्या का बेहद धार्मिक महत्व है। यह दिन पूर्वजों की पूजा करने के लिए मनाया जाता है। पितृ पक्ष के दौरान लोग कल्याण और समृद्धि के लिए विभिन्न अनुष्ठान करते हैं। मान्यता है कि पितृ पक्ष के आखिरी दिन पितृ तर्पण और पिंड दान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है और वे जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाते हैं।
हिंदू धर्मग्रंथों में बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति पहले 15 दिनों तक अपने पूर्वजों का श्राद्ध नहीं कर पाता है या मृत्यु तिथि की तारीख भूल जाता है तो सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के दिन तर्पण किया जा सकता है।Author -Vaishnavi Dwivediडिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देंश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी