Mahalaya 2024: आज मनाया जा रहा महालया पर्व, जानें पूजा का सही समय और जरूरी नियम
आज महालया पर्व मनाया जा रहा है। यह दिन बेहद विशेष माना जाता है। इस दिन पूजा-पाठ पितरों का तर्पण पिंडदान और दान आदि विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन धार्मिक कार्य को करने से उनका दोगुना लाभ मिलता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार महालया और सर्व पितृ अमावस्या 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदी धर्म में अमावस्या का अपना अलग महत्व है। यह तिथि हर महीने आती है और इस इस माह पड़ने वाली अमावस्या को महालया और सर्व पितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है, जिसका सनातन धर्म में अत्यधिक धार्मिक महत्व है। इस दिन लोग अपनी पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए पिंडदान करते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार यह 2 अक्टूबर को पड़ रही है, तो आइए इसकी तिथि (Mahalaya 2024 ) और पूजा नियम को जानते हैं, जिससे पूजा में किसी भी प्रकार का विघ्न न पड़े।
महालया तिथि और समय (Mahalaya 2024 Date and time)
वैदिक पंचांग के अनुसार, नवरात्र की शुरुआत और पितृ पक्ष के अंत का प्रतीक है। इस साल पितृ पक्ष 17 सितंबर को शुरू हुआ और 2 अक्टूबर को समाप्त होगा। पितृ पक्ष का अंतिम दिन 'महालय अमावस्या' है, जो 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी। ऐसे में इस खस दिन पर दान-पुण्य और पितरों का तर्पण अवश्य करें।महालया की पूजा विधि (Mahalaya 2024 Rituals)
- पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- घर की साफ-सफाई करें और सबसे पहले भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।
- घर पर सात्विक भोजन बनाएं और ब्राह्मणों को आमंत्रित करें।
- फिर परिवार के पुरुष सदस्य पितरों का तर्पण अनुष्ठान करें।
- ब्राह्मणों को भोजन खिलाएं और दक्षिणा दें।
- इस शुभ दिन पर गाय, कुत्ते, चींटियों और कौवों को भी खाना खिलाएं।
- सभी पूजा अनुष्ठानों को पूरा करने के बाद जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े और क्षमता अनुसार धन का दान करें।
- ब्राह्मण भोज पूरा होने के बाद परिवार के सदस्य भोजन कर सकते हैं।
- पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना करें।
- इस दिन देवी दुर्गा की भी विधिवत पूजा करनी चाहिए।
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