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महानिर्वाणी से हुई थी महामंडलेश्वर पद की शुरुआत

महामंडलेश्वर पद की शुरुआत श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा से ही हुई थी। सैकड़ों वर्ष पूर्व सबसे पहले महामंडलेश्वर स्वामी जयंतपुरी जी महाराज को बनाया गया था। आचार्य महामंडलेश्वर अखाड़ा के चौथे आचार्य महामंडलेश्वर थे। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के महामंडलेश्वर स्वामी रविंद्रपुरी महाराज ने बताया कि महामंडलेश्वर पद की शुरुआत उन्हीं क

By Edited By: Updated: Wed, 08 May 2013 03:51 PM (IST)
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हरिद्वार। महामंडलेश्वर पद की शुरुआत श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा से ही हुई थी। सैकड़ों वर्ष पूर्व सबसे पहले महामंडलेश्वर स्वामी जयंतपुरी जी महाराज को बनाया गया था। आचार्य महामंडलेश्वर अखाड़ा के चौथे आचार्य महामंडलेश्वर थे।

श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के महामंडलेश्वर स्वामी रविंद्रपुरी महाराज ने बताया कि महामंडलेश्वर पद की शुरुआत उन्हीं के अखाड़ा से हुई थी। इस क्रम में सबसे पहले स्वामी जयंतपुरी महाराज को आचार्य महामंडलेश्वर बनाया था। इनके बाद आचार्य महामंडलेश्वर कृष्णानंद महाराज को बनाया था। जिनके ब्रह्मलीन होने के बार स्वामी अतुलानंद महाराज को आचार्य महामंडलेश्वर बनाया था। स्वामी अतुलानंद महाराज के बाद सन् 1985 में स्वामी विश्वदेवानंद महाराज को आचार्य महामंडलेश्वर की पदवी दी गई थी।

जहां होनी थी भागवत वहां था पार्थिव शरीर-

श्रीयंत्र मंदिर में गत पांच दिनों से श्रीमदगवत कथा चल रही थी। जिसे गुजरात के अहमदाबाद से आए कुछ लोग करा रहे थे। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्व देवानंद महाराज के ब्रह्मलीन होने से बीच में ही छोड़ना पड़ा। संतों का कहना था कि पिछले पांच दिनों से जहां श्रीमद्भागवत रखी हुई थी आज वहां पर स्वामी विश्वदेवानंद महाराज का पार्थिव शरीर देखकर उन्हें बहुत दुख पहुंचा है।

हिंदी के प्रकांड ज्ञाता थे निर्वाण पीठाधीश्वर-

निर्वाण पीठाधीश्वर स्वामी विश्वदेवानंद महाराज हिंदी के प्रकांड ज्ञाता थे। हरिसेवा आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने बताया कि उनकी शिक्षा दीक्षा बनारस के स्वामी संपूर्णानंद संस्कृत विवि से हुई थी। हिंदी और संस्कृत में उनकी पकड़ अन्य संतों से कहीं ज्यादा थी।

संतों सहित शहर के गणमान्य लोगों ने उनके पार्थिव शरीर को दी श्रद्धांजलि संतों ने उनके ब्रह्मलीन होने को बताया अपूर्णीय क्षति

संतों सहित शहर के गणमान्य लोगों ने उनके पार्थिव शरीर को दी श्रद्धांजलि संतों ने उनके ब्रह्मलीन होने को बताया अपूर्णीय क्षति

जल समाधि या भू समाधि निर्णय आज-

संन्यास परंपरा के अनुसार श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के संतों को जल समाधि या फिर भू समाधि दी जाती है। महामंडलेश्वर स्वामी रविंद्रपुरी महाराज ने बताया कि ब्रह्मलीन स्वामी विश्वदेवानंद महाराज को भू समाधि दी जाएगी या फिर जल समाधि इसके लिए बुधवार को ट्रस्टियों और संतों के बीच निर्णय लिया जाएगा।

श्रीयंत्र मंदिर के अधिष्ठाता थे-

ब्रह्मलीन स्वामी विश्वदेवानंद महाराज ने ही हरिद्वार के प्रसिद्ध श्रीयंत्र मंदिर का निर्माण कराया था। उनके ब्रह्मलीन होने पर शाम के समय मंदिर के सभी कपाट बंद रखे गए।

हादसे में ये भी हुए शिकार-

छिद्दरवाला हादसे में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ के चिकित्सा स्वास्थ्य के प्रांतीय महामंत्री गोविंद वल्लभ उपाध्याय की भी मृत्यु हो गई। उनके निधन पर कर्मचारी संगठनों ने शोक जताया है। स्व. उपाध्याय के पुत्र विनोद उपाध्याय भाजयुमो के प्रवक्ता हैं। भाजपा जिला उपाध्यक्ष नरेश शर्मा ने भी निधन पर गहरा शोक जताया है।

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