Mahashivratri 2024: प्रकृति से इस तरह जुड़े हुए हैं भगवान शिव के ये संकेत, युवा ले सकते हैं शिक्षा
भगवान शिव से जुड़ी हर वस्तु का अपना एक धार्मिक महत्व है साथ ही यह चीजें प्राकृतिक दृष्टि से भी खास महत्व रखती हैं। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि सभी देवताओं में भगवान शिव सबसे अधिक प्रकृति से जुड़े हुए देवता हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि शिव जी से जुड़ी ये चीजें क्या संदेश देती हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mahashivratri Special: इस साल महाशिवरात्रि, 08 मार्च 2024, शुक्रवार के दिन मनाई जा रही है। यह दिन हिंदू धर्म में बहुत ही विशेष महत्व रखता है, क्योंकि माना जाता है फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। भगवान शिव को महादेव और भोलेनाथ जैसे कई नामों से पुकारा जाता है, जो उनके गुणों को भी प्रदर्शित करते हैं। साथ ही शिव जी जुड़ी चीजें जैसे कैलाश पर निवास करना और नंदी की सवारी करना आदि मनुष्य को बहुत-सी जीवनोपयोगी शिक्षा दे सकती हैं।
कैलाश में निवास
मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं, जो प्रकृति के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है। जिस प्रकार मनुष्य जाति वनों को समाप्त करती जा रही है, वहां शिव जी से हमें संदेश मिलता है कि पर्वत और वन हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है।
नंदी की सवारी
जिस प्रकार प्रत्येक देवी-देवता की कोई-न-कोई वहां है, उसी प्रकार शिव जी नंदी की सवारी करते हैं। नदी को हिंदू धर्म में धर्म, ज्ञान, शक्ति और दृढ़ता का प्रतीक माना गया है। ऐसे में शिव जी के भक्त उनसे यह शिक्षा ले सकते हैं, कि उन्हें अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए दृढ़ निश्चय रखना चाहिए और हमेशा धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। इसके साथ ही इसे गोवंश की रक्षा के संदेश के रूप में भी देखा जा सकता है।
इसलिए कहा जाता है बाघम्बर
भगवान शिव को बाघम्बर भी कहा जाता है, क्योंकि वह मृत बाघ की छाल के आसन पर बैठते हैं। यह इस बात की ओर संकेत करता है कि किसी भी व्यक्ति को अपनी शक्ति पर अहंकार नहीं करना चाहिए। बाघ की छाल को व्यक्ति के अहंकार से जोड़कर देखा जाता है। ऐसे में शिव जी द्वारा धारण करना इस बात का भी संकेत है कि जिस व्यक्ति ने भी अहंकार का त्याग कर दिया है, उसे भगवान शिव की शरण प्राप्त होती है।शिव जी पर चढ़ने वाली चीजें
माना जाता है कि भगवान शिव आम-सी दिखने वाली फूल पत्तियों जैसे बेल, धतूरा आक के फूल आदि चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। देखा जाए तो भांग और धतूरा की प्रकृति कड़वी या फिर जहरीली होती है। ऐसे में किसी के भी मन में यह सवाल उठ सकता है कि शिव जी को ये चीजें क्यों अर्पित की जाती हैं। दरअसल भगवान शिव पर भांग और धतूरा अर्पित करने का अर्थ है कि हम अपनी सभी बुराईयां और कड़वाहट का त्याग कर रहे हैं और अपने आप को निर्मल बना रहे हैं।
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