Mahashivratri 2024: साल 2024 में कब है महाशिवरात्रि? जानें- तिथि, शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि
Mahashivratri 2024 चिरकाल में फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव एवं मां पार्वती परिणय सूत्र में बंधे थे। अतः हर वर्ष फाल्गुन माह की चतुर्दर्शी तिथि पर मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से विवाहितों को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं अविवाहितों की शीघ्र शादी के योग बनने लगते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 17 Dec 2023 12:00 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mahashivratri 2024: हर वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। तदनुसार, साल 2024 में 8 मार्च को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। इस दिन देवों के देव महादेव और जगत जननी आदिशक्ति मां पार्वती की पूजा की अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत-उपवास रखा जाता है। शास्त्रों में निहित है की चिरकाल में फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव एवं मां पार्वती परिणय सूत्र में बंधे थे। आसान शब्दों में कहें तो इस तिथि पर महादेव एवं मां पार्वती का विवाह हुआ था। अतः हर वर्ष फाल्गुन माह की चतुर्दर्शी तिथि पर मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से विवाहितों को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, अविवाहितों की शीघ्र शादी के योग बनने लगते हैं। साथ ही घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। अत: साधक श्रद्धाभाव से महादेव और माता पार्वती पूजा अर्चना करते हैं। आइए, महाशिवरात्रि की तिथि, शुभ-मुहूर्त एवं पूजा विधि जानते हैं-
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शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 8 मार्च को संध्याकाल 09 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 09 मार्च को संध्याकाल 06 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। अतः 8 मार्च को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी।
पूजा का समय
महाशिवरात्रि के दिन पूजा का समय संध्याकाल 06 बजकर 25 मिनट से 09 बजकर 28 मिनट तक है। इस समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।यह भी पढ़ें: अय्यप्पा स्वामी को समर्पित है सबरीमाला मंदिर, जानिए इन्हें क्यों कहा जाता है हरिहरपुत्र
पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन ब्रह्म बेला में उठें और भगवान शिव और माता पार्वती को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें और श्वेत रंग का नवीन वस्त्र धारण करें। इसके पश्चात, सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। अब पूजा गृह में एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें और कच्चे दूध या गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके बाद पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। भगवान शिव को भांग, धतूरा, फल, फूल, मदार के पत्ते, बेल पत्र, नैवेद्य आदि चीजें अर्पित करें। इस समय शिव चालीसा और शिव स्त्रोत का पाठ, शिव तांडव और शिव मंत्रो का जाप करें। पूजा के अंत में आरती कर सुख-समृद्धि शांति एवं धन वृद्धि की कामना करें। दिन भर उपवास रखें और संध्याकाल में प्रदोष काल के दौरान पुनः स्नान-ध्यान कर भगवान शिव की पूजा-उपासना करें। आरती कर फलाहार करें। रात्रि में भगवान शिव का सुमिरन एवं भजन करें। अगले दिन सामान्य दिनों की तरह पूजा-पाठ कर व्रत खोलें। इस समय ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें। डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।