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Mahila Naga Sadhu: हाथों से बाल तोड़ना, खुद का पिंडदान करना, जानिए महिला नागा साधुओं से जुड़ी कुछ रोचक बातें

Mahila Naga Sadhu नागा साधु के विषय में आपने जरूर सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जितना कठिन पुरुष नागा साधुओं का जीवन होता है उतना ही कठिन महिला नागा साधुओं का भी जीवन होता है। आइए जानते हैं इनसे जुड़ी कुछ विशेष बातें।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Mon, 09 Jan 2023 02:40 PM (IST)
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Mahila Naga Sadhu: जानिए कैसा होता है महिला नागा साधुओं का जीवन?

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Mahila Naga Sadhu Interesting Facts: साधुओं का जीवन सदैव प्रभु का नाम जपने में ही व्यतीत होता है। आदिकाल से इन साधुओं का वर्णन कई धर्म-ग्रंथों में किया गया है। इन सबमें नागा साधुओं की चर्चा समय-समय की जाती है। यह साधु विशेष समय पर अपने शिविर या तपस्थली से बाहर निकलते हैं। अन्यथा गोपनीय रूप से अपनी साधना में लीन रहते हैं। बता दें कि नागा साधुओं में न केवल पुरुष बनते हैं, बल्कि महिलाएं भी अध्यात्मिक जीवन को अपनाकर महिला नागा साधु की दीक्षा प्राप्त करती हैं। जितना कठोर पुरुष नागा साधुओं का जीवन होता है, उतना ही कठिन महिला नागा साधुओं का जीवन भी होता है। बता दें कि माघ मेले (Magh Mela 2023) का शुभारंभ हो चुका है। ऐसे में संगम तट पर न केवल संत-महात्मा एकत्रित हो रहे हैं, बल्कि पवित्र डुबकी लगाने के लिए नागा साधु भी आते हैं। आइए जानते हैं कैसा होता है महिला नागा साधुओं का जीवन।

महिला नागा साधुओं से जुड़ी की विशेष बातें (Female Naga Sadhu Interesting Facts)

  • महिला नागा साधुओं को जीवनपर्यन्त भगवान शिव के लिए खुदों को समर्पित करना होता है। नागा साधु बनने के बाद इन्हें 'माता' की उपाधि दी जाती है।

  • महिला नागा साधुओं को वस्त्र धारण करने की अनुमति मिलती है। किन्तु नियम यह है कि वह जीवनभर एक रंग का और एक ही वस्त्र धारण करती हैं।

  • महिला नागा साधुओं की संख्या सबसे अधिक दशनाम संन्यासिनी अखाड़ा में है। किसी अन्य अखाड़े में महिलाओं को नागा साधु की दीक्षा दी जाती है, इसकी चर्चा नहीं है।

  • नागा साधु या माता की उपाधि प्राप्त करने के लिए महिलाओं को 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक होता है। तभी वह नागा साधु का जीवन व्यतीत कर सकती हैं।

  • नागा साधु बनने से पुरुषों की भांति महिलाएं भी अपना पिंडदान करती हैं। ऐसा करने का उद्देश्य अपने बीते हुए जीवन को त्याग देना होता है। साथ ही यह भी तांत्रिक क्रियाएं करती हैं।

  • महिला नागा साधुओं को अपने बाल अपने हाथों से तोड़ने होते हैं। महिला नागा साधुओं को अपने बाल पूरी तरह छिलवाना होता है।

  • दैनिक दिनचर्या की बात करें तो महिला नागा साधु स्नान के बाद दिनभर भगवान शिव की उपासना करती हैं और संध्या के समय भगवान दत्तात्रेय की पूजा की जाती है।

  • डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।