Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति पर जानें खिचड़ी खाने का महत्व, क्यों खाते हैं दही-चूड़ा
Makar Sankranti 2023 मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी व दही-चूड़ा खाए जाने का विशेष महत्व है। इसे खान के साथ-साथ दान भी किया जाता है। हालांकि आज हम जानेंगे मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी व दही-चूड़ा खाए जाने का धार्मिक व वैज्ञानिक महत्व।
नई दिल्ली, Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है। इस त्योहार के खास मौके पर खिचड़ी व दही-चूड़ा खाने का भी विशेष महत्व होता है। मकर संक्रांति को कई जगहों पर खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन खिचड़ी खाना शुभ माना जाता है। यूपी-बिहार की तरफ इस दिन दही-चूड़ा भी खाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी व दही-चूड़ा खाने का धार्मिक महत्व जानते हैं। साथ ही जानेंगे इसे खाने का वैज्ञानिक कारण भी।
खिचड़ी व दही-चूड़ा खाने का धार्मिक कारण
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी व दही-चूड़ा खाने का विशेष महत्व है। इस दिन खिचड़ी के साथ-साथ दही-चूड़ा भी खाया जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण की बात करें तो इस दिन ये सभी चीजें खाना शुभ होता है। मकर संक्रांति के त्योहार से पहले ही सितम्बर, अक्टूबर में धान काटे जाते हैं और बाजार में नए चावल बिकने लगते हैं। यही वजह है कि अन्न देवता की पूजते हुए नए चावल की खिचड़ी बना कर इस दिन खाया जाता है। इसे पहले सूरज देव को भोग के रूप में दिया जाता है फिर खुद प्रसाद के रूप में खाया जाता है। इस दिन सूर्य देव को भोग लगा कर जल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
खिचड़ी व दही-चूड़ा खाने का वैज्ञानिक कारण
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी और दही-चूड़ा खाने का एक खास वैज्ञानिक महत्व है। दही-चूड़ा पाचन तंत्र के लिए अच्छा भोजन होता है। इससे पाचन सही होता है। इसलिए इसे भी मकर संक्रांति के दिन खाया जाता है। खिचड़ी में कई तरह की सब्जियां होती हैं जो शरीर को पोषण देती हैं। इसके साथ ही इसमें नए चावल होते हैं जिन्हें खाने के बाद पेट भारी नहीं लगता है। ऐसे में मकर संक्रांति के दिन ये दोनों ही भोजन खाने से हमारा पाचन तंत्र सही होता है। इसलिए इन्हें खास तौर पर इस दिन ग्रहण किया जाता है। कहते हैं कि चूड़ा में फाइबर की मात्रा अधिक होती है जो पाचन के लिए बहुत लाभदायक होता है।
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