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Makar Sankranti 2024: 14 या 15 जनवरी, कब है मकर संक्रांति? नोट करें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

Makar Sankranti 2024 इस दिन पुण्य काल प्रातः काल 07 बजकर 15 मिनट से लेकर संध्याकाल 05 बजकर 46 मिनट तक है। इस अवधि में पूजा जप-तप और दान कर सकते हैं। वहीं महा पुण्य काल सुबह 07 बजकर 15 मिनट से लेकर 09 बजे तक है। इस दौरान पूजा और दान करने से सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Mon, 11 Dec 2023 06:43 PM (IST)Updated: Mon, 08 Jan 2024 01:52 PM (IST)
Makar Sankranti 2024: 14 या 15 जनवरी, कब है मकर संक्रांति? नोट करें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Makar Sankranti 2024: हर वर्ष पौष महीने में सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करने की तिथि पर मकर संक्रांति मनाई जाती है। इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा-उपासना की जाती है। शास्त्रों में निहित है कि मकर संक्रांति तिथि पर सूर्य देव उत्तरायण होते हैं। सनातन धर्म में सूर्य के उत्तरायण होने का विशेष महत्व है। इस शुभ अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा समेत निकटतम नदी और सरोवर में आस्था की डुबकी लगाते हैं। साथ ही पूजा, जप-तप और दान-पुण्य करते हैं। पितरों को मोक्ष दिलाने हेतु बहती जलधारा में तिलांजलि भी की जाती है। इस उपाय को करने से व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साल 2024 में मकर संक्रांति की तिथि को लेकर लोग दुविधा में हैं। आइए, मकर संक्रांति की तिथि और शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि जानते हैं-

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सूर्य राशि परिवर्तन

ज्योतिषियों की मानें तो 15 जनवरी (अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार) को देर रात 02 बजकर 43 मिनट पर सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश के दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है। अतः साल 2024 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी।

मकर संक्रांति तिथि

पौष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी 15 जनवरी को मकर संक्रांति है। इस दिन पुण्य काल प्रातः काल 07 बजकर 15 मिनट से लेकर संध्याकाल 05 बजकर 46 मिनट तक है। इस अवधि में पूजा, जप-तप और दान कर सकते हैं। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 07 बजकर 15 मिनट से लेकर 09 बजे तक है। इस दौरान पूजा और दान करने से सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

पूजा विधि

देशभर में मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठें और घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अगर सुविधा है, तो पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करें। इस समय आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें। साथ ही पीले वस्त्र धारण कर सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसी समय अंजलि में तिल लेकर बहती जलधारा में प्रवाहित करें। इसके पश्चात, विधि विधान से सूर्य देव की पूजा करें। पूजा के समय सूर्य चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती कर सूर्य देव से सुख, शांति और धन वृद्धि की कामना करें। पूजा समापन के बाद आर्थिक स्थिति के अनुरूप दान दें।

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डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेंगी।


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