Makar Sankranti 2024: आज मनाई जा रही है मकर संक्रांति, करें भगवान सूर्य की चालीसा का पाठ
Makar Sankranti 2024 सनातन धर्म में मकर संक्रांति का पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा का विधान है। ऐसा कहा जाता है जो लोग जीवन में अंधकार से घिरे हुए हैं उन्हें इस मौके पर विशेष पूजा अवश्य करनी चाहिए। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 यानी आज मनाई जा रही है।
By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Mon, 15 Jan 2024 08:32 AM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Makar Sankranti 2024: सनातन धर्म में मकर संक्रांति का पर्व बेहद खास होता है, जिसे लोग बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। यह वह दिन है, जब सूर्यदेव दक्षिण से उत्तर गोलार्ध में प्रवेश करते हैं। यह दिन सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित है।
इसलिए इस मौके पर सूर्यदेव की पूजा और उनकी चालीसा का पाठ बेहद शुभ माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 यानी आज मनाई जा रही है।
''सूर्य चालीसा''
॥ दोहा ॥कनक बदन कुण्डल मकर,मुक्ता माला अङ्ग।
पद्मासन स्थित ध्याइए,शंख चक्र के सङ्ग॥॥ चौपाई ॥जय सविता जय जयति दिवाकर!।सहस्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!।सविता हंस! सुनूर विभाकर॥विवस्वान! आदित्य! विकर्तन।मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते।वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥सहस्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि।मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥अरुण सदृश सारथी मनोहर।हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥मंडल की महिमा अति न्यारी।तेज रूप केरी बलिहारी॥उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते।देखि पुरन्दर लज्जित होते॥
मित्र मरीचि भानु अरुण भास्कर।सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥पूषा रवि आदित्य नाम लै।हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥द्वादस नाम प्रेम सों गावैं।मस्तक बारह बार नवावैं॥चार पदारथ जन सो पावै।दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥नमस्कार को चमत्कार यह।विधि हरिहर को कृपासार यह॥सेवै भानु तुमहिं मन लाई।अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥बारह नाम उच्चारन करते।सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन।रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥धन सुत जुत परिवार बढ़तु है।प्रबल मोह को फंद कटतु है॥अर्क शीश को रक्षा करते।रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत।कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥भानु नासिका वासकरहुनित।भास्कर करत सदा मुखको हित॥ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे।रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥कंठ सुवर्ण रेत की शोभा।तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥
पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर।त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥युगल हाथ पर रक्षा कारन।भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥बसत नाभि आदित्य मनोहर।कटिमंह, रहत मन मुदभर॥जंघा गोपति सविता बासा।गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥विवस्वान पद की रखवारी।बाहर बसते नित तम हारी॥सहस्रांशु सर्वांग सम्हारै।रक्षा कवच विचित्र विचारे॥अस जोजन अपने मन माहीं।भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै।जोजन याको मन मंह जापै॥
अंधकार जग का जो हरता।नव प्रकाश से आनन्द भरता॥ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही।कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥मंद सदृश सुत जग में जाके।धर्मराज सम अद्भुत बांके॥धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा।किया करत सुरमुनि नर सेवा॥भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों।दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥परम धन्य सों नर तनधारी।हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन।मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥
भानु उदय बैसाख गिनावै।ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥यम भादों आश्विन हिमरेता।कातिक होत दिवाकर नेता॥अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं।पुरुष नाम रवि हैं मलमासहिं॥
॥ दोहा ॥भानु चालीसा प्रेम युत,गावहिं जे नर नित्य।सुख सम्पत्ति लहि बिबिध,होंहिं सदा कृतकृत्य॥यह भी पढ़ें: Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति पर करें इस चालीसा का पाठ और आरती, सुख-समृद्धि में होगी अपार वृद्धि
डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'