Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति पर 'वरीयान' योग समेत बन रहे हैं ये 5 अद्भुत संयोग, प्राप्त होगा कई गुना फल
Makar Sankranti 2024 मकर संक्रांति के दिन देवों के देव महादेव जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के साथ संध्याकाल 07 बजकर 45 मिनट तक रहेंगे। इस दौरान साधक भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर सकते हैं। धार्मिक मत है कि मां गौरी के साथ भगवान शिव के रहने के समय रुद्राभिषेक करने से साधक के घर में सुख और समृद्धि आती है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 24 Dec 2023 01:25 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Makar Sankranti 2024: सनातन धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान कर पूजा, जप तप और दान-पुण्य किया जाता है। शास्त्रों में निहित है कि मकर संक्रांति तिथि पर गंगा स्नान कर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से सकल मनोरथ सिद्ध होते है। चिरकाल में राजा भागीरथ ने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने हेतु मां गंगा की कठिन तपस्या की थी। मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरित होने के पश्चात राजा भागीरथ के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। अतः संक्रांति तिथि पर पूर्वजों का तर्पण एवं पिंडदान भी किया जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो मकर संक्रांति तिथि पर रवि योग समेत कई अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में गंगा स्नान कर पूजा, जप-तप करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए, शुभ योग एवं मुहूर्त जानते है।
ज्योतिषियों की मानें तो 15 जनवरी को मकर संक्रांति है। इस दिन पुण्य काल सुबह काल 07 बजकर 15 मिनट से लेकर संध्याकाल 05 बजकर 46 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 07 बजकर 15 मिनट से लेकर 09 बजे तक है। इस दौरान पूजा, जप-तप और दान-पुण्य कर सकते हैं।
वरीयान योग
मकर संक्रांति तिथि पर वरीयान योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण देर रात 11 बजकर 11 मिनट तक है। ज्योतिष वरीयान योग को शुभ योग मानते हैं। इस योग में शुभ कार्य कर सकते हैं। इस दिन खरमास समाप्त हो जाएगा।रवि योगज्योतिषियों की मानें तो मकर संक्रांति पर रवि योग का भी निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 7 बजकर 15 मिनट से लेकर 08 बजकर 07 मिनट है। इस योग में पूजा-पाठ और दान-पुण्य करने से आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है।
करणमकर संक्रांति तिथि पर बव और बालव करण का निर्माण हो रहा है। बव करण का निर्माण दोपहर 3 बजकर 35 मिनट तक है। इसके पश्चात, बालव करण का योग है।। ज्योतिष बव और बालव दोनों करण को शुभ मानते हैं। इन योग में शुभ कार्य कर सकते हैं।यह भी पढ़ें: जानें, कब, कहां, कैसे और क्यों की जाती है पंचक्रोशी यात्रा और क्या है इसकी पौराणिक कथा?
मकर संक्रांति के दिन देवों के देव महादेव, जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के साथ संध्याकाल 07 बजकर 45 मिनट तक रहेंगे। इस दौरान साधक भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर सकते हैं। धार्मिक मत है कि मां गौरी के साथ भगवान शिव के रहने के समय रुद्राभिषेक करने से साधक के घर में सुख और समृद्धि आती है।डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेंगी।