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Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति के दिन क्या करें और क्या नहीं? यहां जानें

Makar Sankranti 2024 मकर संक्रांति का दिन भगवान सूर्य की पूजा के लिए समर्पित है। इस साल यह पर्व 15 जनवरी 2024 को मनाया जाएगा। ऐसा कहा जाता है कि मकर संक्रांति पर दान-पुण्य के साथ कुछ महत्वपूर्ण बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। तो आइए जानते हैं मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन क्या करें और क्या नहीं ?

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Tue, 02 Jan 2024 09:56 AM (IST)
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Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति के दिन इन बातों का रखें ध्यान

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति का पर्व सनातन धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक माना जाता है। वर्ष का पहला त्योहार सूर्य के मकर राशि में पारगमन के पहले दिन होता है, जो शीतकालीन संक्रांति के साथ महीने के अंत और लंबे दिनों की शुरुआत का संकेत देता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा का विधान है। इस साल यह 15 जनवरी 2024 को मनाई जाएगी।

ऐसा कहा जाता है कि मकर संक्रांति पर दान-पुण्य के अलावा कुछ विशेष बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। तो चलिए जानते हैं मकर संक्रांति के दिन क्या करें और क्या नहीं ?

मकर संक्रांति के दिन इन बातों का रखें ध्यान -

  • मकर संक्रांति के दिन तामसिक भोजन यानी मांस, लहसुन और प्याज खाने से बचना चाहिए।
  • मकर संक्रांति के दिन सात्विक भोजन ही करना चाहिए।
  • गरीबों और असहाय लोगों का अपमान नहीं करना चाहिए, फलस्वरूप व्यक्ति पाप का भागीदार बन जाता है।
  • इस दिन किसी को भी कोई नकारात्मक बात नहीं कहनी चाहिए।
  • इस दिन मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से आपका परिवार सुख-समृद्धि से वंचित हो सकता है।
  • इस दिन मीठे चावल बनाना जरूरी होता है, जो चावल, दाल, गुड़, अंगूर, सूखे मेवे, और दूध से बनाया जाता है।
  • इस दिन सात्विक भोजन का सेवन करें और इसे अपनी रसोई में ही बनाएं।
  • धार्मिक स्थान में जाकर समय बिताएं और आशीर्वाद लें।
  • मकर संक्रांति के दिन मीठे कद्दू का सेवन जरूरी माना गया है।
  • इस दिन जितना हो सके उतना पूजा-पाठ करना चाहिए।

भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के मंत्र

  • ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:
  • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः 
  • ॐ सूर्याय नम:
  • ॐ घृणि सूर्याय नम: 
  • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
  • ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
  • ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ 

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