Malmas 2023: कब तक रहेगा मलमास का महीना, इसके बाद कर सकते हैं ये मांगलिक कार्य
Malmas 2023 जिस प्रकार से सावन में भगवान शिव की आराधना करने का महत्व है ठीक उसी प्रकार पुरुषोत्तम मास का यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है। 19 वर्षों के बाद पुरुषोत्तम मास और श्रावण मास एक साथ आ रहे हैं जिसका अर्थ है कि भक्तों को भगवान विष्णु के साथ शिव जी की भी कृपा प्राप्त होगी।
By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Sun, 23 Jul 2023 09:53 AM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म। Malmas 2023: श्रावण मास के बीच 18 जुलाई से अधिक मास लग रहा है और इसका समापन 16 अगस्त 2023 को होगा। सावन में अधिक मास का संयोग पूरे 19 साल बाद बन रहा है। इसे मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। मलमास तीन साल के बाद बनने वाली तिथियों के योग से बनता है। इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस माह में कई प्रकार के मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं।
न करें मांगलिक कार्य
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मलमास के महीने में मांगलिक कार्य जैसे- शादी-विवाह, मुंडन, अन्नप्राशन संस्कार, गृह प्रवेश, भूमि पूजन, नए घर का निर्माण शुरू करना आदि वर्जित होते हैं। ऐसा करने पर लाभ नहीं मिलता।
मलमास के बाद कर सकते हैं ये कार्य
मलमास का महीना 16 अगस्त 2023 को समाप्त हो रहा है। हालांकि, सावन का महीना 31 तक रहने वाला है। इसके बाद आप कई मांगलिक कार्य कर सकते हैं। अधिकमास के बाद आप विवाह, सगाई आदि जैसे मांगलिक कार्य कर सकते हैं। अर्थात इन शुभ कार्यों को 31 अगस्त के बाद ही किया जा सकेगा।खरीद सकते हैं नई प्रॉपर्टी
इसके बाद आप गृह प्रवेश से जुड़े कार्य, भूमि पूजन आदि कर सकते हैं। इसके अलावा नई प्रॉपर्टी में निवेश भी कर सकते हैं। मलमास के समाप्त होने पर आप बच्चों का मुंडन आदि भी करवा सकते हैं। अधिक मास के पश्चात किसी भी शुभ मुहूर्त में इस काम को कराया जा सकता है।
सत्यनारायण कथा का मिलेगा विशेष लाभ
मलमास का महीना भगवान श्री हरि का प्रिय माना गया है। इस महीने में विष्णु जी की पूजा करने से व्यक्ति को भगवान श्री हरि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस माह में भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।न करें ये गलतियां
मलमास का महीना भगवान विष्णु को समर्पित है। साथ ही यह भी माना गया है कि तुलसी भी भगवान विष्णु का प्रिय है। ऐसे में तुलसी संबंधी गलतियां करने से बचना चाहिए। भगवान विष्णु का भोग तुलसी के बिना अधूरा माना जाता है।
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