Mangal Dosh Upay: मंगल दोष दूर करने के लिए करें ये आसान उपाय, मिलेगा मनचाहा वर
ज्योतिषियों की मानें तो मंगल ग्रह के कुंडली के प्रथम द्वितीय चतुर्थ सप्तम अष्टम और द्वादश भाव में रहने पर मंगल दोष लगता है। इस भाव में मंगल के गुरु और शुक्र के साथ रहने पर दोष परिहार हो जाता है। साथ ही सम राशि के साथ रहने पर भी दोष परिहार हो जाता है। अतः मंगल दोष का विचार बारीकी से करना चाहिए।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 15 Apr 2024 03:50 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mangal Dosh Upay: सनातन धर्म में मंगलवार के दिन हनुमान जी एवं मंगल देव की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही मनचाहा वर पाने हेतु मंगलवार के दिन व्रत भी रखा जाता है। धार्मिक मत है कि मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होता है। साथ ही मंगल दोष का प्रभाव भी कम या समाप्त हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र में मंगल दोष दूर करने हेतु मंगलवार के दिन विशेष उपाय करने का भी विधान है। इन उपायों को करने से मंगल दोष दूर हो जाता है। अगर आप भी मगंल दोष से निजात पाना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन ये उपाय जरूर करें। साथ ही पूजा के समय अंगारक स्तोत्र का पाठ जरूर करें।
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कैसे लगता है मंगल दोष ?
ज्योतिषियों की मानें तो मंगल ग्रह के कुंडली के प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में रहने पर मंगल दोष लगता है। इस भाव में मंगल के गुरु और शुक्र के साथ रहने पर दोष परिहार हो जाता है। साथ ही सम राशि के साथ रहने पर भी दोष परिहार होता है। अतः मंगल दोष का विचार बारीकी से करना चाहिए। जातक के मांगलिक होने पर दोष निवारण अनिवार्य है। वहीं, मंगल दोष के प्रभाव को कम करने के लिए निम्न उपाय कर सकते हैं।
उपाय
- अगर आप मंगल दोष से निजात पाना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन लाल रंग की चीजें जैसे मसूर दाल, लाल मिर्च, लाल रंग की मिठाई, लाल रंग का वस्त्र आदि दान करें। इस उपाय को हर मंगलवार के दिन करें।
- हर मंगलवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद हनुमान जी की पूजा करें। इस समय हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके बाद हनुमान जी के चरणों में सिंदूर अर्पित करें। इस उपाय को करने से भी मंगल दोष दूर होता है।
- मांगलिक जातक मंगलवार के दिन बाग या गार्डन में अशोक के पेड़ लगाएं। इस उपाय को करने से भी मंगल दोष दूर होता है।
श्री अंगारक स्तोत्रम्
अंगारकः शक्तिधरो लोहितांगो धरासुतः।कुमारो मंगलो भौमो महाकायो धनप्रदः ॥ऋणहर्ता दृष्टिकर्ता रोगकृत् रोगनाशनः।विद्युत्प्रभो व्रणकरः कामदो धनहृत् कुजः ॥सामगानप्रियो रक्तवस्त्रो रक्तायतेक्षणः।लोहितो रक्तवर्णश्च सर्वकर्मावबोधकः ॥रक्तमाल्यधरो हेमकुण्डली ग्रहनायकः।नामान्येतानि भौमस्य यः पठेत् सततं नरः॥ऋणं तस्य च दौर्भाग्यं दारिद्र्यं च विनश्यति।धनं प्राप्नोति विपुलं स्त्रियं चैव मनोरमाम् ॥
वंशोद्योतकरं पुत्रं लभते नात्र संशयः ।योऽर्चयेदह्नि भौमस्य मङ्गलं बहुपुष्पकैः।सर्वं नश्यति पीडा च तस्य ग्रहकृता ध्रुवम् ॥यह भी पढ़ें: मंगल ग्रह मजबूत करने के लिए मंगलवार को जरूर करें ये 4 उपाय, सभी संकटों से मिलेगी निजात
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