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Mangala Gauri Vrat 2023: अधिक मास के अंतिम मंगला गौरी व्रत पर इन मंत्रों का करें जाप, मिलेगा शुभ फल

Mangala Gauri Vrat 2023 सावन माह में मंगलवार के दिन रखे जाने वाले मंगला गौरी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत मुख्य तौर पर माता पार्वती को समर्पित है। सावन अधिक मास का अंतिम मंगला गौरी व्रत 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर रखा जाएगा। इस दिन माता गौरी के इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को विशेष लाभ प्राप्त होगा।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Mon, 14 Aug 2023 03:40 PM (IST)
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Mangala Gauri Vrat 2023 मंगला गौरी व्रत के मंत्र।
नई दिल्ली, अध्यात्म। Mangala Gauri Vrat 2023: मंगला गौरी का व्रत श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को विवाहित स्त्रियों और अविवाहित कन्याओं द्वारा किया जाता है। इस बार अधिक मास के चलते सावन माह में 9 मंगला गौरी व्रत रखें जाएंगे। विवाहित महिलाओं द्वारा इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है। वहीं अविवाहित कन्याएं भी मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं।

मंगला गौरी व्रत का महत्व (Mangla Gauri Vrat Importance)

मंगला गौरी व्रत करने से सुहानिन महिलाओं को माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से पति की लंबी आयु और संतान सुख की प्राप्ति होती है। अविवाहित युवतियां द्वारा भी इस व्रत को अच्छे वर की प्राप्ति के लिए और विवाह में आने वाली बाधा को दूर करने के लिए किया जाता है। मंगला गौरी व्रत करने से माता गौरी का आशीर्वाद तो मिलता ही है साथ ही घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।

ये हैं मां मंगला गौरी के मंत्र

- सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

- कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।

- ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा।

- ॐ गौरीशंकराय नमः।

ध्यान मंत्र

नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम: ।

नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणता:स्म ताम्।।

श्रीगणेशाम्बिकाभ्यां नम:, ध्यानं समर्पयामि।

पूजा विधि

मंगला गौरी व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करने का बाद साफ कपड़े पहने। इस दिन महिलाओं को हरा, लाल, गुलाबी और पीले जैसे शुभ रंगों के वस्त्र धारण करने चाहिए और 16 श्रृंगार करना चाहिए। इसके बाद इसके बाद पूजाघर में दीप जलाकर व्रत का संकल्प करें। पूजा के लिए एक चौकी पर आसन बिछाकर इसके मां पार्वती और शिवजी की साथ वाली फोटो या मूर्ति स्थापित करें।

अब चंदन या कुमकुम का तिलक लगाकर फूल, फल, अक्षत, सुपारी आदि समेत 16 श्रृंगार अर्पित करें और धूप-दीप जलाकर मां मंगला गौरी की व्रत कथा पढ़ें। इसके बाद आरती करें और पूजा के बाद मां मंगला गौरी से सुखी वैवाहिक जीवन और पति की दीर्घायु की कामना करें। 

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'