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Mani Matangeshwar Temple: इस मंदिर में शिवलिंग के नीचे दबी है मनोकामना पूरी करने वाली मणि, जानें इससे जुड़ी कथा

Matangeshwar Mahadev Temple इतिहासकारों की मानें तो चंदेल शासक देवों के देव महादेव के परम भक्त थे। इसके लिए मतंगेश्वर मंदिर का निर्माण चंदेल शासक ने नौवीं शताब्दी में करवाया था। इसके अलावा चंदेल वंश के शासकों ने ही खजुराहो मंदिर का निर्माण कराया था। ऋषि मतंग के नाम पर मंदिर का नाम मतंगेश्वर है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु महादेव के दर्शन हेतु मतंगेश्वर मंदिर आते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 20 Jun 2024 09:38 PM (IST)
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Matangeshwar Temple मतंगेश्वर मंदिर का इतिहास एवं महत्व (Image Credit: mptourism.com)

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mani Matangeshwar Temple: भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं, तो दुष्टों का सर्वनाश करते हैं। भगवान शिव की कृपा पाकर भक्तों के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। साथ ही पृथ्वी लोक में स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। अतः साधक भगवान शिव के शरणागत होकर सोमवार के दिन विधि-विधान से त्रिलोकीनाथ की पूजा करते हैं। साथ ही सोमवार के दिन व्रत भी रखते हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। देशभर में महादेव के कई ज्योतिर्लिंग हैं। इसके अलावा, कई विश्व प्रसिद्ध महादेव मंदिर हैं। इन मंदिरों में भगवान शिव प्रतिमा रूप में अवस्थित हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि देश में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां शिवलिंग के नीचे मनोकामना पूरी करने वाली मणि दबी है ? आइए इस मंदिर के बारे में सबकुछ जानते हैं-

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क्या है मणि की कथा ?

सनातन शास्त्रों में निहित है कि भगवान शिव के पास मरकत मणि थी। द्वापर युग में धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान शिव की कठिन तपस्या की। इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने मरकत मणि युधिष्ठिर को वरदान में प्रदान की। मरकत मणि कोई सामान्य मणि नहीं थी। इस मणि से हर मनोकामना पूरी होती है।

तत्कालीन समय में युधिष्ठिर की हर मनोकामना मरकत मणि के चलते पूरी हुई। एक बार की बात है, जब युधिष्ठिर की भेंट मतंग ऋषि से हुई। उस समय युधिष्ठिर सत्ता विहीन थे। उन्होंने मतंग ऋषि को मरकत मणि दे दी। कालांतर में मतंग ऋषि ने मणि को शिवलिंग के नीचे दबा दिया। उस समय से यह मणि शिवलिंग के नीचे दबी है। इस शिवलिंग के स्थान पर स्थापित मंदिर को मतंगेश्वर मंदिर (Nagmani Temple in Khajuraho) कहा जाता है।

इस मंदिर का निर्माण नौवीं सदी में हुआ है। हालांकि, इतिहासकारों में मंदिर को लेकर मतभेद है। कई जानकारों का कहना है कि चंदेल राजवंश के शासकों ने मंदिर का निर्माण करवाया था। कई जानकारों का कहना है कि मंदिर का निर्माण हर्षवर्धन ने कराया था। इतिहासकारों में शिवलिंग के नीचे दबी मणि प्रमुख चर्चा का विषय है। वर्तमान समय में भी मणि शिवलिंग के नीचे दबी है। इस मंदिर में शिवलिंग की पूजा के समय की गई मनोकामना अवश्य पूरी होती है।

कहां है मतंगेश्वर मंदिर ?

मतंगेश्वर मंदिर (Mani Matangeshwar Temple) मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। यह मंदिर प्रसिद्ध खुजराहो मंदिर के समीप है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मतंगेश्वर मंदिर भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर लक्ष्मण मंदिर के बगल में है। इस मंदिर में नौ फीट ऊंचा शिवलिंग है और शिवलिंग की गोलाई यानी मोटाई 4 फीट है, जो चुने पत्थर से निर्मित है। धार्मिक मान्यता है कि मंदिर में स्थित शिवलिंग प्रतिदिन बढ़ता है। मंदिर में स्थित शिवलिंग को मृत्युंजय महादेव भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि शिवलिंग की लंबाई भूमि के भीतर भी नौ फीट है। आसान शब्दों में कहें तो शिवलिंग की कुल लंबाई 18 फीट है।

कैसे पहुंचे मतंगेश्वर मंदिर?

अगर आप देश की राजधानी दिल्ली से खजुराहो जाना चाहते हैं, तो मतंगेश्वर मंदिर से निकटतम एयरपोर्ट खजुराहो है। खजुराहो एयरपोर्ट से मतंगेश्वर मंदिर की दूरी तकरीबन 5 किलोमीटर है। श्रद्धालु खजुराहो एयरपोर्ट से टैक्सी के जरिए मतंगेश्वर मंदिर पहुंच सकते हैं। वहीं, रेल मार्ग के जरिए भी निकटतम स्टेशन खजुराहो है। देश के अन्य हिस्सों से भी वायु और रेल मार्ग के जरिए खजुराहो पहुंच सकते हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।