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Margashirsha Amavasya 2024: मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन इस मुहूर्त में करें गंगा स्नान, जानें पितरों के तर्पण और दान का समय

मार्गशीर्ष अमावस्या का दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है। यह तिथि धार्मिक कार्यों के लिए बहुत ही अच्छी मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन गंगा स्नान पितरों का तर्पण और दान-पुण्य करना बहुत शुभ होता। यह तिथि पितरों की पूजा के लिए विशेष होती है तो चलिए मार्गशीर्ष अमावस्या (Margashirsha Amavasya 2024) का शुभ मुहूर्त जानते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Wed, 20 Nov 2024 02:57 PM (IST)
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Margashirsha Amavasya 2024: मार्गशीर्ष अमावस्या का शुभ मुहूर्त।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मार्गशीर्ष अमावस्या का सनातन धर्म में बड़ा महत्व है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, सूर्य देव, भगवान कृष्ण और अपने पूर्वजों की पूजा करते हैं। कहते हैं कि इस तिथि पर पितरों का तर्पण, पिंडदान और दान जैसे अनुष्ठान करने से सभी दुख दूर होते हैं और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूजा-पाठ पर जोर देना चाहिए और तामसिक चीजों से परहेज करना चाहिए। इस तिथि (Margashirsha Amavasya 2024) पर स्नान और दान का बेहद महत्व है, तो आइए इसका शुभ मुहूर्त जानते हैं।

मार्गशीर्ष अमावस्या का शुभ मुहूर्त (Margashirsha Amavasya Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल (Margashirsha Amavasya 2024 Shubh Muhurat) 30 नवंबर, 2024 दिन शनिवार को सुबह 10 बजकर 29 मिनट से मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरूआत होगी।

वहीं, इस तिथि का समापन 1 दिसंबर, 2024 को रविवार को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर होगा। पंचांग के आधार पर इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या 1 दिसंबर, 2024 दिन रविवार को मनाई जाएगी।

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मार्गशीर्ष अमावस्या मुहूर्त 2024 (Snan-Daan Samay)

हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त 05 बजकर 08 मिनट से 06 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। इस दिन का अभिजीत मुहूर्त दिन में 11 बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप स्नान और दान कर सकते हैं।

राहुकाल का समय (Rahu Kaal Samay)

राहुकाल शाम को 4 बजकर 5 मिनट से शाम 5 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। इस समय आपको किसी भी प्रकार के शुभ कार्य से बचना चाहिए।

पितरों का तर्पण और पिंडदान मुहूर्त (Pitru Tarpan Samay)

जो लोग अपने पितरों का श्राद्ध कर्म और पिंडदान करने की सोच रहे है, वे सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक के बीच कर सकते हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।