Move to Jagran APP

Margashirsha Ekadashi 2024: मार्गशीर्ष माह में कब-कब है एकादशी? नोट करें डेट और पूजा की विधि

एकादशी तिथि का व्रत हिंदुओं में बेहद पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन का उपवास को रखने से सौभाग्य समृद्धि और खुशी में वृद्धि होती है। इसके साथ ही श्री हरि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं इस व्रत को करने से सभी पाप धुल जाते हैं तो चलिए मार्गशीर्ष माह में कब-कब एकादशी (Margashirsha Ekadashi Lists) मनाई जाएगी और इसकी पूजा विधि क्या है उसके बारे में जानते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Thu, 21 Nov 2024 02:57 PM (IST)
Hero Image
Margashirsha Ekadashi 2024: एकादशी की पूजन विधि।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मार्गशीर्ष माह में आने वाली एकादशी का विशेष महत्व है। यह शुक्ल और कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन मनाई जाती है। यह तिथि और महीना भगवान विष्णु और कृष्ण जी की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्री हरि की पूजा भाव के साथ करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में बरकत का वास होता है, तो आइए इस व्रत (Margashirsha Ekadashi Date And time) से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -

उत्पन्ना एकादशी 2024 तिथि और समय ( Utpanna Ekadashi 2024 Shubh Muhurat)

मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 26 नवंबर को देर रात 01 बजकर 01 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 27 नवंबर को रात 03 बजकर 47 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए 26 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी (Kab Hai Utpanna Ekadashi 2024) का व्रत रखा जाएगा।

मोक्षदा एकादशी 2024 तिथि और समय (Mokshada Ekadashi 2024 Date and Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी तिथि की शुरुआत 11 दिसंबर को देर रात 03 बजकर 42 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 12 दिसंबर को रात 01 बजकर 09 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए मोक्षदा एकादशी 11 दिसंबर (Kab Hai Mokshada Ekadashi 2024) को मनाई जाएगी।

एकादशी की पूजन विधि (Margashirsha Ekadashi Puja Vidhi 2024)

  • एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करें।
  • एकादशी व्रत का संकल्प लें।
  • एक वेदी पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
  • भगवान का पंचामृत व गंगाजल से स्नान करवाएं।
  • पीले फूलों की माला और कमल का फूल अर्पित करें।
  • हल्दी या फिर गोपी चंदन और कुमकुम का तिलक लगाएं।
  • पंजीरी और पंचामृत का भोग लगाएं।
  • विष्णु जी का ध्यान करें।
  • पूजा में तुलसी पत्र अवश्य शामिल करें।
  • एकादशी कथा का पाठ करें।
  • आरती से पूजा को पूर्ण करें।
  • पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।
  • गरीबों को भोजन खिलाएं और क्षमता अनुसार दान करें।
  • शाम को भी विधिवत पूजा करें।
  • अगले दिन प्रसाद खाकर अपने व्रत का पारण करें।

भगवान विष्णु पूजन मंत्र ( Ekadashi Pujan Mantra)

  • ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
  • ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।
यह भी पढ़ें: Vivah Muhurat 2025: साल 2025 में रहेंगे विवाह के इतने मुहूर्त, इस दौरान नहीं होगा कोई भी मांगलिक कार्य

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।