Masik Durgashtami 2024: मार्गशीर्ष माह में कब है मासिक दुर्गा अष्टमी? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग
जगत की देवी मां दुर्गा (Masik Durgashtami 2024) की महिमा अपरंपार है। मां दुर्गा अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं। उनकी कृपा से भक्त के सभी दुख दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में मंगल ही मंगल होता है। साधक श्रद्धा भाव से जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा-उपासना करते हैं। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में मां की पूजा की जाती है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sat, 23 Nov 2024 04:22 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि मां दुर्गा को समर्पित है। इस दिन मासिक दुर्गा अष्टमी मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वर पाने के लिए दुर्गा अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साधक श्रद्धा भाव से मां दुर्गा की पूजा (Masik Durgashtami Puja Vidhi) करते हैं। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
मासिक दुर्गा अष्टमी शुभ मुहूर्त (Masik Durga Ashtami Shubh Muhurat)
ज्योतिषियों की मानें तो मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 08 दिसंबर को भारतीय समयानुसार सुबह 09 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, अष्टमी तिथि का समापन 09 दिसंबर को सुबह 08 बजकर 02 मिनट पर होगा। मासिक दुर्गाष्टमी पर निशा काल में जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा की जाती है। अत: 08 दिसंबर को मासिक दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी।मासिक दुर्गा अष्टमी शुभ योग (Masik Durga Ashtami Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर शतभिषा योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन अभिजीत मुहूर्त का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही वणिज योग का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक ही हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं।
दुर्गा अष्टमी का महत्व
मासिक दुर्गा अष्टमी पर जगत की देवी मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है। विशेष कार्य में सिद्धि पाने के इच्छुक साधक मासिक दुर्गा अष्टमी पर मां दुर्गा की कठिन साधना करते हैं। कठिन साधना से प्रसन्न होकर मां दुर्गा मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। मां की कृपा से साधक को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।पंचांग
सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 02 मिनट परसूर्यास्त - शाम 05 बजकर 24 मिनट परचन्द्रोदय- दोपहर 12 बजकर 27 मिनट परचंद्रास्त- देर रात 12 बजकर 09 मिनट परब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 13 मिनट से 06 बजकर 07 मिनट तकविजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से 02 बजकर 38 मिनट तकगोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 22 मिनट से 05 बजकर 49 मिनट तक निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 41 मिनट तकयह भी पढ़ें: कब मनाई जाएगी गीता जयंती? जानें इस दिन का महत्व और पूजा नियम अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।