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Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन न करें ये गलतियां, घर से जा सकती है सुख-समृद्धि

मासिक दुर्गाष्टमी (Masik Durgashtami 2024) का पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस विशेष दिन पर लोग मां शक्ति की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। इस पर्व को लोग बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। इस दिन से जुड़े कुछ नियम बनाए गए हैं जिनका पालन करना बहुत जरूरी है। तो आइए उन नियमों के बारे में यहां जानते हैं -

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sat, 17 Feb 2024 08:00 AM (IST)
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Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन न करें ये गलतियां
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गाष्टमी हिंदू धर्म का एक शुभ दिन है। यह दिन देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। दुर्गाष्टमी हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस विशेष दिन पर लोग मां शक्ति की पूजा करते हैं और उनके लिए व्रत रखते हैं।

इस पर्व को लोग बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। इस दिन से जुड़े कुछ नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना बहुत जरूरी है। तो आइए उन नियमों के बारे में यहां जानते हैं -

मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन न करें ये गलतियां

  • मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन तामसिक चीजों जैस- शराब, मांस, लहसुन, प्याज आदि के उपयोग से बचें।
  • मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन किसी महिला का अपमान गलती से भी न करें, वरना देवी के प्रकोप का सामना करना पड़ सकता है।
  • व्रती बार-बार पानी और खाना खाने से बचें।
  • गुटखा-सिगरेट आदि का सेवन न करें।
  • इस व्रत के दिन काला वस्त्र धारण करने की भूल न करें।
  • मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन किसी के बारे में गलत बोलने से बचें।
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मासिक दुर्गाष्टमी का महत्व

मासिक दुर्गाष्टमी का दिन मां भगवती के भक्तों के लिए बहुत खास होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को भक्तिपूर्वक करने से भक्तों के जीवन में शांति, समृद्धि और खुशहाली आती है। यह भी माना जाता है कि यह कठिन उपवास बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाता है।

मां दुर्गा के मंत्र

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

नवार्ण मंत्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै।।

पिण्डज प्रवरा चण्डकोपास्त्रुता।

प्रसीदम तनुते महिं चंद्रघण्टातिरुता।।

पिंडज प्रवररुधा चन्दकपास्कर्युत ।

प्रसिदं तनुते महयम चंद्रघंतेति विश्रुत।

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