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Masik Durgashtami 2024: इस विशेष दिन मनाई जाएगी मासिक दुर्गाष्टमी, जानें तिथि, पूजा विधि और धार्मिक महत्व

Masik Durgashtami 2024 मासिक दुर्गाष्टमी का सनातन धर्म में बड़ा धार्मिक महत्व है। इस माह यह व्रत 18 जनवरी को मनाया जाएगा। देवी दुर्गा को बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जाओं को खत्म करने के लिए जाना जाता है जो लोग प्रत्येक दुर्गाष्टमी पर देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं उन्हें शांति शक्ति समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Mon, 08 Jan 2024 10:57 AM (IST)
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Masik Durgashtami 2024: इस विशेष दिन मनाई जाएगी मासिक दुर्गाष्टमी
धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गाष्टमी का दिन माता दुर्गा के भक्तों लिए बेहद खास है। यह पर्व शास्त्रों में बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भक्तिपूर्वक दुर्गा मां की पूजा करते हैं और देवी दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए उनके मंदिर जाते हैं। यह पर्व हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस माह यह 18 जनवरी को मनाया जाएगा।

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मासिक दुर्गाष्टमी का महत्व

मासिक दुर्गाष्टमी का सनातन धर्म में बड़ा धार्मिक महत्व है। दुर्गा माता को बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जाओं को खत्म करने के लिए जाना जाता है, जो लोग प्रत्येक दुर्गाष्टमी पर देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं, उन्हें शांति, शक्ति, समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है। ऐसी मान्यता है कि मां के व्रत के प्रभाव से साधक बड़ी से बड़ी विपत्ती से निकलने में कामयाब रहते हैं।

मासिक दुर्गाष्टमी पूजा विधि

  • इस शुभ दिन पर भक्त सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
  • घर और पूजा मंदिर की सफाई करें।
  • लकड़ी की चौकी पर देवी दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें।
  • मां का पंचामृत से अभिषेक करें।
  • मां दुर्गा को कुमकुम लगाएं।
  • मां के समक्ष देसी घी का दीया जलाएं और मिठाई का भोग लगाएं।
  • दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा और देवी दुर्गा के 32 नामों का जाप करें।
  • इस दिन मां दुर्गा के लिए हवन करना भी बेहद शुभ माना गया है।
  • अंत में देवी की आरती करें।

मासिक दुर्गाष्टमी पर करें मां के इन मंत्रों का जाप

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। सवर्स्धः स्मृता मतिमतीव शुभाम् ददासि।।

दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके। मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।

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