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Masik Durgashtami 2024: कार्तिक माह में कब मनाई जाएगी मासिक दुर्गाष्टमी? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

सनातन शास्त्रों में निहित है कि जगत की देवी मां दुर्गा (Masik Durgashtami 2024) की पूजा करने से साधक पर नौ देवियों की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सभी दुख दूर हो जाते हैं। मां दुर्गा अपने भक्तों के सभी दुख हर लेती हैं। उनके शरण में रहने वाले साधकों को उच्च लोक की प्राप्ति होती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 22 Oct 2024 09:30 PM (IST)
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Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गाष्टमी का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि और शुक्रवार के दिन की जाती है। इस तिथि पर मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत भी रखा जाता है। धार्मिक मत है कि मासिक दुर्गाअष्टमी तिथि पर जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को पृथ्वी लोक पर सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से जगत जननी मां दुर्गा की पूजा करते हैं। अगर आप भी मां दुर्गा की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो मासिक दुर्गाअष्टमी पर जगत की देवी की पूजा (Masik Durgashtami Puja Vidhi) करें। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-

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मासिक दुर्गाष्टमी शुभ मुहूर्त (Masik Durga Ashtami Shubh Muhurat)

ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 08 नवंबर को भारतीय समयानुसार दोपहर 11 बजकर 56 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, अष्टमी तिथि का समापन 09 नवंबर को देर रात 10 बजकर 45 मिनट पर होगा। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 09 नवंबर को मासिक दुर्गाअष्टमी मनाई जाएगी।

मासिक दुर्गाष्टमी शुभ योग (Masik Durga Ashtami Shubh Yog)

ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है। वृद्धि योग पूर्ण रात्रि तक है। साथ ही श्रवण नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इन योग में जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। इसके साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होगा। ज्योतिष वृद्धि योग को शुभ मानते हैं। इस योग में शुभ कार्य का श्रीगणेश करने से कार्य में वृद्धि होती रहती है।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 39 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 30 मिनट पर

चन्द्रोदय- दोपहर 01 बजकर 17 मिनट पर

चंद्रास्त- देर रात 12 बजकर 19 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 54 मिनट से 05 बजकर 47 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 37 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 30 मिनट से 05 बजकर 57 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।