Masik Durgashtami 2024: साल 2024 में कब-कब मनाई जाएगी मासिक दुर्गाष्टमी, यहां पढ़ें पूरी लिस्ट
Masik Durgashtami 2024 मासिक दुर्गाष्टमी का पर्व मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन जो साधक मां दुर्गा की सच्चे दिल से पूजा करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। दुर्गाष्टमी हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है जब चंद्रमा दिखाई देता है। ऐसे में आज हम पूरे साल में किस-किस दिन मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाएगी उसके बारे में साझा करेंगे।
By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Mon, 08 Jan 2024 10:07 AM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गाष्टमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। दुर्गाष्टमी हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है, जब चंद्रमा दिखाई देता है। इस पवित्र दिन पर लोग मां दुर्गा की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं, जो लोग मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखते हैं, उन्हें उसकी तिथि जानना बेहद जरूरी है। इसलिए आज हम 2024 की मासिक दुर्गाष्टमी की तिथि यहां साझा करेंगे, जो इस प्रकार है -
मासिक दुर्गाष्टमी तिथि
- पौष दुर्गाष्टमी 18 जनवरी, 2024।
- माघ दुर्गाष्टमी 17 फरवरी, 2024।
- फाल्गुन दुर्गाष्टमी 17 मार्च, 2024।
- चैत्र दुर्गाष्टमी 16 अप्रैल, 2024।
- वैशाख दुर्गाष्टमी 15 मई, 2024।
- ज्येष्ठ दुर्गाष्टमी 14 जून, 2024।
- आषाढ़ दुर्गाष्टमी 14 जुलाई, 2024।
- श्रावण दुर्गाष्टमी 13 अगस्त, 2024।
- भाद्रपद दुर्गाष्टमी 11 सितंबर, 2024।
- अश्विन दुर्गाष्टमी 11 अक्टूबर, 2024।
- कार्तिक दुर्गाष्टमी 9 नवंबर, 2024।
- मार्गशीर्ष दुर्गाष्टमी 8 दिसंबर, 2024।
मासिक दुर्गाष्टमी पूजा विधि
- सुबह उठकर पवित्र स्नान करें।
- लकड़ी की चौकी पर मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें।
- मां के समक्ष देसी घी का दीया जलाएं और लाल रंग के फूल अर्पित करें।
- मंत्र जाप और दुर्गा चालीसा का पाठ करके प्रार्थना करें।
- शाम के समय भी देवी दुर्गा की पूजा अवश्य करें।
- घर में बना हुआ भोग प्रसाद जैसे- हलवा, खीर पूरी और चने का भोग लगाएं।
- मंत्रों का जाप करें और मां दुर्गा माता की आरती से पूजा का समापन करें।
- सभी पूजा अनुष्ठानों को पूरा करने के बाद, भक्त अपना उपवास प्रसाद से खोलें।
मां दुर्गा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।ॐ जटा जूट समायुक्तमर्धेंन्दु कृत लक्षणाम|लोचनत्रय संयुक्तां पद्मेन्दुसद्यशाननाम॥दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। सवर्स्धः स्मृता मतिमतीव शुभाम् ददासि।।दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके। मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।
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