Move to Jagran APP

Masik Kalashtami 2024: कालाष्टमी पर जरूर करें ये उपाय, सभी संकटों का होगा अंत, जीवन होगा खुशहाल

कालाष्टमी का पर्व काल भैरव को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि काल भैरव की विधिपूर्वक उपासना करने से सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है। कालाष्टमी (Masik Kalashtami 2024) के दिन कुछ उपायों के जरिए धन की प्राप्ति होती है और जातक का जीवन सुखमय होता है। आइए जानते हैं कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त और उपाय के बारे में।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 16 Jun 2024 02:24 PM (IST)
Hero Image
Masik Kalashtami 2024: कालाष्टमी पर जरूर करें ये उपाय, सभी संकटों का होगा अंत, जीवन होगा खुशहाल
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Kalashtami 2024: हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार आषाढ़ माह में कालाष्टमी 28 जून को है। इस अवसर पर भगवान महादेव के उग्र स्वरूप काल भैरव की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही जीवन के संकट को दूर करने के लिए व्रत भी किया जाता है। 

यह भी पढ़ें: Jyeshtha Purnima 2024: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर राशि अनुसार करें इन मंत्रों का जप, पूरी होगी मनचाही मुराद

मासिक कालाष्टमी के उपाय (Masik Kalashtami Ke Upay)

  • धन की समस्या को दूर करने के लिए कालाष्टमी पर सुबह स्नान करने के बाद काल भैरव की सच्चे मन से पूजा करें। ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से धन लाभ के योग बनते हैं और कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है।
  • कालाष्टमी के दिन पूजा के दौरान दीपक जलाएं और प्रभु की आरती करें। इसके बाद उन्हें मीठी रोटी का भोग लगाएं। मान्यता है कि इस टोटके को करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • कालाष्टमी के दिन काल भैरव के मंदिर में कपूर और काजल का दान करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से इंसान को जीवन के सभी दुखों से छुटकारा मिलता है।
मासिक कालाष्टमी 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Masik Kalashtami 2024 Date and Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 28 जून 2024 दोपहर 04 बजकर 27 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 29 जून 2024 दोपहर 02 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में मासिक कालाष्टमी का व्रत 28 जून को रखा जाएगा।

कालाष्टमी पूजा मंत्र (Kalashtami Mantra)

1. ॐ ह्रीं वं भैरवाय नमः

2. 'भैरवाय नमः'

3. ॐ बतुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बतुकाय हुं फट् स्वाहा

4.ॐ ह्रीं बगलामुखाय पंचास्य स्तम्भय स्तम्भय मोहय मोहय मायामुखायै हुं फट् स्वाहा

5.भैरवाय नमस्कृतोऽस्तु भैरवाय स्वाहा

यह भी पढ़ें: Bakra Eid 2024: बकरीद पर क्यों दी जाती है कुर्बानी? जानें इसके पीछे की वजह

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।