Masik Karthigai 2024: अप्रैल महीने में कब है मासिक कार्तिगाई? जानें, तिथि एवं पूजा विधि
Masik Karthigai 2024 ज्योतिषियों की मानें तो 05 अप्रैल को कृतिका नक्षत्र दिन भर है। यह शुभ योग 12 अप्रैल को देर रात 01 बजकर 38 मिनट तक है। इस दिन चैत्र नवरात्र की तृतीया तिथि दोपहर 03 बजकर 03 मिनट तक है। इसके बाद चतुर्थी तिथि है। साधक किसी समय अपने आराध्य भगवान शिव की पूजा-उपासना कर सकते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 11 Apr 2024 11:24 AM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Karthigai 2024: हर माह कृतिका नक्षत्र के दिन मासिक कार्तिगाई दीपम का पर्व मनाया जाता है। चैत्र महीने में 11 अप्रैल को मासिक कार्तिगाई है। सनातन धर्म शास्त्रों में निहित है कि मासिक कार्तिगाई के दिन देवों के देव महादेव ज्योत रूप में प्रकट हुए थे। अतः मासिक कार्तिगाई पर भगवान शिव के ज्योत रूप की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। दक्षिण भारत में मासिक कार्तिगाई के दिन पूजा-अर्चना के बाद संध्याकाल में दीपावली समान दीये जलाये जाते हैं। इस शुभ अवसर पर पूरी-पकवान समेत मिष्ठान पकाकर महादेव और देवताओं के सेनापति भगवान कार्तिकेय को अर्पित किया जाता है। आइए, पूजा विधि और महत्व जानते हैं-
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तिथि
ज्योतिषियों की मानें तो 05 अप्रैल को कृतिका नक्षत्र दिन भर है। यह शुभ योग 12 अप्रैल को देर रात 01 बजकर 38 मिनट तक है। इस दिन चैत्र नवरात्र की तृतीया तिथि दोपहर 03 बजकर 03 मिनट तक है। इसके बाद चतुर्थी तिथि है। साधक किसी समय अपने आराध्य भगवान शिव की पूजा-उपासना कर सकते हैं। विशेष कार्यों में सिद्धि प्राप्ति हेतु प्रदोष काल में भगवान शिव की साधना करते हैं।महत्व
मासिक कार्तिगाई तिथि पर शिव मंदिर एवं मठों को भव्य तरीके से सजाया जाता है। इस दिन त्रिलोकीनाथ महादेव की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। मासिक कार्तिगाई पर संध्याकाल में दीप जलाने से घर में सकारात्मक शक्ति का संचार होता है।
पूजा विधि
मासिक कार्तिगाई के दिन ब्रह्म बेला में उठें। इस समय भगवान शिव को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद नित्यकर्मों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसी समय आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें और नवीन वस्त्र धारण कर सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद पंचोपचार कर भगवान शिव की पूजा करें। अपनी स्थिति के अनुसार भगवान शिव का अभिषेक दूध, दही, घी, शहद, पंचामृत आदि से करें। इस समय चालीसा और कवच का पाठ एवं मंत्रों का जप करें। अंत में आरती कर सुख-समृद्धि की कामना करें। संध्या काल में आरती कर दीये जलाएं।यह भी पढ़ें: नरक का दुख भोगकर धरती पर जन्मे लोगों में पाए जाते हैं ये चार अवगुणडिस्क्लेमर-''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'