Masik Shivratri 2023: आज है मासिक शिवरात्रि, करें भगवान शिव के इस स्तोत्र का पाठ
Masik Shivratri 2023 मासिक शिवरात्रि का व्रत कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रखा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस शुभ दिन पर महादेव के लिए व्रत रखते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस महीने यह व्रत 11 दिसंबर सोमवार के दिन यानी आज रखा जाएगा। साथ ही इस दिन शिव रुद्राष्टकम का पाठ करना बेहद फलदायी माना गया है। तो चलिए पढ़ते हैं -
By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Mon, 11 Dec 2023 07:00 AM (IST)
Masik Shivratri 2023: सनातन धर्म में मासिक शिवरात्रि को बेहद शुभ माना गया है। यह व्रत भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। प्रत्येक महीने यह व्रत कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रखा जाता है। कहा जाता है, जो भक्त इस शुभ दिन पर भोलेनाथ के लिए उपवास रखते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इस माह यह व्रत 11 दिसंबर सोमवार के दिन यानी आज रखा जाएगा। साथ ही इस दिन 'श्री शिव रुद्राष्टकम' का पाठ करना भी बहुत ही कल्याणकारी माना गया है। ऐसे में प्रत्येक भक्त को इस दिन (Masik Shivratri) इस अद्भुत पाठ को अवश्य ही करना चाहिए, जो इस प्रकार है-
यह भी पढ़ें: Margashirsha Amavasya 2023: मार्गशीर्ष अमावस्या पर राशि अनुसार करें इन मंत्रों का जाप, पूरी होगी मनचाही मुराद
॥भगवान शिव का रुद्राष्टकम्॥
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं । विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ॥निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं । चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥॥निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं । गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।करालं महाकालकालं कृपालं । गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ॥॥तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं । मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ॥स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा । लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥॥
चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं । प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ॥मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं । प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ॥॥प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं । अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ॥त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं । भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥॥कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी । सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ॥चिदानन्दसंदोह मोहापहारी । प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥॥
न यावद् उमानाथपादारविन्दं । भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं । प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ॥॥न जानामि योगं जपं नैव पूजां । नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ॥जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं । प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ॥॥रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ॥।ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ॥॥