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Masik Shivratri 2023: इस दिन पड़ रही है मासिक शिवरात्रि, जानें तिथि और पूजा विधि

Masik Shivratri 2023 मासिक शिवरात्रि भगवान शिव को समर्पित है। ऐसा माना जा रहा है कि इस बार की मासिक शिवरात्रि बेहद खास होने वाली है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। अगर इस दिन भगवान शिव (Shiva Puja) की विशेष पूजा की जाए और उपवास रखा जाए तो भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर इच्छित वर देते हैं।

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sun, 03 Dec 2023 08:34 AM (IST)
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Margashirsha Masik Shivratri 2023: कब है मार्गशीर्ष माह की मासिक शिवरात्रि

धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Margashirsha Masik Shivratri 2023: हिंदू पंचाग के अनुसार, हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि यानी 11 दिसबंर, शनिवार के दिन मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। यह दिन भगवान शिव को समर्पित है। ऐसा माना जा रहा है कि इस बार की मासिक शिवरात्रि बेहद खास होने वाली है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं।

अगर इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाए और उपवास रखा जाए तो भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर इच्छित वर देते हैं।

इस दिन पड़ रही है मासिक शिवरात्रि -

हिंदू पंचांग के अनुसार, मासिक शिवरात्रि 11 दिसबंर के दिन शनिवार को सुबह 7 बजकर 10 मिनट से शुरू होगी। साथ ही इस तिथि की समाप्ति 12 दिसंबर, रविवार सुबह 6 बजकर 24 मिनट पर होगी। ऐसे में इस बार मासिक शिवरात्रि की उपासना 11 दिसंबर को की जाएगी।

पूजा विधि -

मासिक शिवरात्रि के दिन सुबह उठकर सबसे पहले स्नानादि से निवृत हो जाएं। इसके बाद महादेव की पूजा करें। ऐसा कहा जाता है औघड़दानी को बेलपत्र, भांग, धतूरा अति प्रिय है।

इसलिए इन चीजों को अपनी पूजा में जरूर शामिल करें। इसके साथ व्रत कथा का पाठ करें या सुनें। अंत में कपूर की आरती से पूजा का समापन करें।

मासिक शिवरात्रि में शिव गायत्री मंत्र का करें जाप -

''ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।''

शिव स्तुति

आशुतोष शशाँक शेखर,

चन्द्र मौली चिदंबरा,

कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,

कोटि नमन दिगम्बरा ॥

निर्विकार ओमकार अविनाशी,

तुम्ही देवाधि देव,

जगत सर्जक प्रलय करता,

शिवम सत्यम सुंदरा ॥

निरंकार स्वरूप कालेश्वर,

महा योगीश्वरा,

दयानिधि दानिश्वर जय,

जटाधार अभयंकरा ॥

शूल पानी त्रिशूल धारी,

औगड़ी बाघम्बरी,

जय महेश त्रिलोचनाय,

विश्वनाथ विशम्भरा ॥

नाथ नागेश्वर हरो हर,

पाप साप अभिशाप तम,

महादेव महान भोले,

सदा शिव शिव संकरा ॥

जगत पति अनुरकती भक्ति,

सदैव तेरे चरण हो,

क्षमा हो अपराध सब,

जय जयति जगदीश्वरा ॥

जनम जीवन जगत का,

संताप ताप मिटे सभी,

ओम नमः शिवाय मन,

जपता रहे पञ्चाक्षरा ॥

आशुतोष शशाँक शेखर,

चन्द्र मौली चिदंबरा,

कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,

कोटि नमन दिगम्बरा ॥

कोटि नमन दिगम्बरा..

कोटि नमन दिगम्बरा..

कोटि नमन दिगम्बरा..

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