Masik Shivratri 2024: आज मनाई जाएगी मासिक शिवरात्रि, जरूर करें शिव चालीसा का पाठ
हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2024) का बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है। इस बार यह व्रत 30 सितंबर यानी आज रखा जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करने से साधक के जीवन में शुभता का आगमन होता है। इसके साथ ही परिवार में खुशहाली आती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मासिक शिवरात्रि का पर्व बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन भक्त बड़ी भक्ति और समर्पण के साथ व्रत रखते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। यह दिन हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार यह व्रत 30 सितंबर यानी आज रखा जा रहा है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
साथ ही जीवन में शुभता का आगमन होता है। वहीं, इस दिन शिव जी की पूजा के बाद ''शिव चालीसा'' का पाठ परम कल्याणकारी माना गया है। इससे भोलेनाथ बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं, तो आइए यहां पढ़ते हैं।
।।शिव चालीसा।।
||दोहा||जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥।।चौपाई।।जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई॥कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी॥दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट ते मोहि आन उबारो॥मात-पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई॥स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी॥धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥पण्डित त्रयोदशी को लावे।ध्यान पूर्वक होम करावे॥त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥|| दोहा ||बहन करौ तुम शीलवश, निज जनकौ सब भार।गनौ न अघ, अघ-जाति कछु, सब विधि करो सँभारतुम्हरो शील स्वभाव लखि, जो न शरण तव होय।तेहि सम कुटिल कुबुद्धि जन, नहिं कुभाग्य जन कोयदीन-हीन अति मलिन मति, मैं अघ-ओघ अपार।कृपा-अनल प्रगटौ तुरत, करो पाप सब छार॥कृपा सुधा बरसाय पुनि, शीतल करो पवित्र।
राखो पदकमलनि सदा, हे कुपात्र के मित्र॥।। इति श्री शिव चालीसा समाप्त ।।यह भी पढ़ें: Khatu Shyam Mandir: आखिर किसने बनवाया था खाटू श्याम मंदिर, जो आज देशभर में है बेहद प्रसिद्धअस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।