Masik Shivratri 2024: बेहद खास माना जाता है मासिक शिवरात्रि का व्रत, जानें इसका धार्मिक महत्व
मासिक शिवरात्रि का व्रत बहुत खास माना जाता है। यह (Masik Shivratri 2024) भगवान शंकर की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन का उपवास रखके भोलेनाथ को शीघ्र प्रसन्न किया जा सकता है। साथ ही इस पर्व पर भोलेनाथ की विशेष पूजा करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ खास बातों को जानते हैं -
By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sat, 03 Feb 2024 02:12 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि व्रत को बेहद शुभ माना जाता है। यह भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन का उपवास रखके भोलेनाथ को शीघ्र प्रसन्न किया जा सकता है। साथ ही इस पर्व पर भोलेनाथ की विशेष पूजा करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं, जो यहां साझा की गई हैं -
माघ मासिक शिवरात्रि 2024 समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 8 फरवरी 2024 सुबह 11:17 मिनट पर शुरू होगी। और इसका समापन 9 फरवरी 2024 शाम 06:17 मिनट पर होगा।मासिक शिवरात्रि व्रत 2024 का धार्मिक महत्व
मासिक शिवरात्रि व्रत का हिंदुओं के बीच बड़ा धार्मिक महत्व है। यह दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। इस शुभ दिन पर, भक्त भक्ति और समर्पण के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं। साथ ही वे अपने परिवार की खुशहाली के लिए व्रत रखते हैं। मासिक शिवरात्रि वह दिन है, जब लोग विभिन्न प्रकार की धार्मिक गतिविधियां करते हैं। इसके अलावा लोग शिव मंदिर जाते हैं और रुद्राभिषेक और जलाभिषेक करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि जिन लोगों की जन्म कुंडली में चंद्रमा से संबंधित समस्याएं हैं, उन्हें सभी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए यह व्रत अवश्य रखना चाहिए।
भगवान शिव का नमस्कार मंत्र
शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।। ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।
शिव जी का महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥भोलेनाथ का नामावली मंत्र
- श्री शिवाय नम:
- श्री शंकराय नम:
- श्री महेश्वराय नम:
- श्री सांबसदाशिवाय नम:
- श्री रुद्राय नम:
- ओम पार्वतीपतये नम:
- ओम नमो नीलकण्ठाय नम: