Masik Shivratri 2024: इस दिन होगा मासिक शिवरात्रि का पारण, जानें तिथि और पूजा नियम
मासिक शिवरात्रि का व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान शंकर की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस दिन शिव परिवार की पूजा सच्ची श्रद्धा के साथ करते हैं उन्हें उनका दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा से जुड़ी हुई समस्याएं हैं उन्हें उससे निजात पाने के लिए यह व्रत (Masik Shivratri 2024) जरूर करना चाहिए।
By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Thu, 08 Feb 2024 10:00 AM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि के उपवास का हिंदुओं के बीच बड़ा धार्मिक महत्व है, क्योंकि यह भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। भक्त इस शुभ दिन पर बड़ी भक्ति और समर्पण के साथ व्रत रखते हैं।यह दिन हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है। माघ माह में यह 8 फरवरी, 2024 दिन गुरुवार यानी आज रखा जाएगा।
मासिक शिवरात्रि पारण समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 8 फरवरी यानी आज के दिन मनाई जा रही है। इसकी शुरुआत सुबह 11 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी। इसका समापन 9 फरवरी दिन शुक्रवार 2024 सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर होगा। ऐसे में इस व्रत का पारण 9 फरवरी को किया जाएगा।
मासिक शिवरात्रि का व्रत भगवान शिव को है समर्पित
मासिक शिवरात्रि का उपवास बहुत शुभ माना जाता है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। इस शुभ दिन पर, भक्त अत्यधिक भक्ति और समर्पण के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं। साथ ही अपने परिवार की खुशहाली के लिए व्रत रखते हैं। इसके अलावा इस दिन लोग कई प्रकार की धार्मिक विधियां भी करते हैं।साथ ही इस शुभ दिन पर, लोग शिव मंदिर जाते हैं और रुद्राभिषेक करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा से जुड़ी हुई समस्याएं हैं, उन्हें सभी उससे छुटकारा पाने के लिए यह व्रत जरूर करना चाहिए।
मासिक शिवरात्रि पूजा नियम
- भक्त सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
- शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें और उनके समक्ष देसी घी का दीपक जलाएं।
- भगवान शिव को सफेद चंदन और माता पार्वती को कुमकुम लगाएं।
- मां गौरी को शृंगार का सामान चढ़ाएं।
- भक्त मंदिर जाएं और शिवलिंग का जलाभिषेक करें।
- पंचाक्षरी मंत्र और महामृत्युंजय का जाप करें।
- शाम के समय भी भगवान शिव की पूजा करें और चावल की खीर का भोग लगाएं।
- अंत में शिव परिवार की आरती करें।
- पूजा के बाद शंखनाद करें।
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