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Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि के दिन करें शिव शंकर स्तोत्र का पाठ, हो जाएंगे धनवान

Masik Shivratri 2024 मासिक शिवरात्रि इस माह 9 जनवरी दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। यह साल की पहली मासिक शिवरात्रि है इसलिए इसका महत्व बहुत ज्यादा है। इस दिन शिव शंकर स्तोत्र का पाठ करना बहुत ही शुभ माना गया है जो जातक इसका पाठ करते हैं उन्हें शुभ फलों की प्राप्ति होती है। तो चलिए यहां पढ़ते हैं -

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Mon, 08 Jan 2024 01:05 PM (IST)
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Masik Shivratri 2024: शिव शंकर स्तोत्र का पाठ

धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Masik Shivratri 2024: हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। भक्त इस शुभ दिन पर भगवान शंकर (Lord Shiva Puja) के लिए उपवास रखते हैं और उनकी विधिवत पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन शिव जी की उपासना से वे बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं।

इस माह मासिक शिवरात्रि 9 जनवरी दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। यह साल की पहली मासिक शिवरात्रि है इसलिए इसका महत्व बहुत ज्यादा है। इस दिन ''शिव शंकर स्तोत्र'' का पाठ करना बेहद फलदायी माना गया है। तो आइए यहां पढ़ते हैं -

।।शिव शंकर स्तोत्र।।

अतिभीषणकटुभाषणयमकिंकरपटली-कृतताडनपरिपीडनमरणागतसमये ।

उमया सह मम चेतसि यमशासन निवसन् हर शंकर शिव शंकर हर मे हर दुरितम् ॥ ॥

असदिन्द्रियविषयोदयसुखसात्कृतसुकृतेः परदूषणपरिमोक्षण कृतपातकविकृतेः ।

शमनाननभवकानननिरतेर्भव शरणं हर शंकर शिव शंकर हर मे हर दुरितम् ॥ ॥

विषयाभिधबडिशायुधपिशितायितसुखतो मकरायितगतिसंसृतिकृतसाहसविपदम् ।

परमालय परिपालय परितापितमनिशं हर शंकर शिव शंकर हर मे हर दुरितम् ॥ ॥

दयिता मम दुहिता मम जननी मम जनको मम कल्पितमतिसन्ततिमरुभूमिषु निरतम् ।

गिरिजासख जनितासुखवसतिं कुरु सुखिनं हर शंकर शिव शंकर हर मे हर दुरितम् ॥ ॥

जनिनाशन मृतिमोचन शिवपूजननिरतेः अभितोऽदृशमिदमीदृशमहमावह इति हा ।

गजकच्छपजनितश्रम विमलीकुरु सुमतिं हर शंकर शिव शंकर हर मे हर दुरितम् ॥ ॥

त्वयि तिष्ठति सकलस्थितिकरुणात्मनि हृदये वसुमार्गणकृपणेक्षणमनसा शिवविमुखम् ।

अकृताह्निकमसुपोषकमवताद् गिरिसुतया हर शंकर शिव शंकर हर मे हर दुरितम् ॥ ॥

पितरावतिसुखदाविति शिशुना कृतहृदयौ शिवया हृतभयके हृदि जनितं तव सुकृतम् ।

इति मे शिव हृदयं भव भवतात् तव दयया हर शंकर शिव शंकर हर मे हर दुरितम् ॥ ॥

शरणागतभरणाश्रितकरुणामृतजलधे शरणं तव चरणौ शिव मम संसृतिवसतेः ।

परिचिन्मय जगदामयभिषजे नतिरवतात् हर शंकर शिव शंकर हर मे हर दुरितम् ॥ ॥

विविधाधिभिरतिभीतिभिरकृताधिकसुकृतं शतकोटिषु नरकादिषु हतपातकविवशम् ।

मृड मामव सुकृती भव शिवया सह कृपया हर शंकर शिव शंकर हर मे हर दुरितम् ॥ ॥

कलिनाशन गरलाशन कमलासनविनुत कमलापतिनयनार्चित करुणाकृतिचरण ।

करुणाकर मुनिसेवित भवसागरहरण हर शंकर शिव शंकर हर मे हर दुरितम् ॥ ॥

विजितेन्द्रियविबुधार्चितविमलाम्बुजचरण भवनाशन भयनाशन भजिताङ्गितहृदय ।

फणिभूषण मुनिवेषण मदनान्तक शरणं शिव शङ्कर शिव शङ्कर हर मे हर दुरितम् ॥ ॥

त्रिपुरान्तक त्रिदशेश्वर त्रिगुणात्मक शम्भो वृषवाहन विषदूषण पतितोद्धर शरणम् ।

कनकासन कनकाम्बर कलिनाशन शरणं शिव शङ्कर शिव शङ्कर हर मे हर दुरितम् ॥॥

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