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Masik Shivratri 2024: इस मासिक शिवरात्रि पर करें देवी पार्वती को प्रसन्न, मिलेगा अपार वैभव

सावन माह में मासिक शिवरात्रि 02 अगस्त को मनाई जाएगी। यह दिन भगवान शंकर की पूजा के लिए समर्पित है जो भक्त इस दिन सच्ची श्रद्धा के साथ व्रत रखते हैं उन्हें सुख समृद्धि संतान और सफलता का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही जीवन में खुशहाली का आगमन होता है। वहीं इस दिन श्री उमा महेश्वर स्तोत्र का पाठ भी बेहद शुभ माना गया है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 27 Jul 2024 08:53 AM (IST)
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Masik Shivratri 2024: श्री उमा महेश्वर स्तोत्र का पाठ -

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शिवरात्रि, यानी महादेव की प्रिय रात्रि। पूरे साल में कुल 12 मासिक शिवरात्रि मनाई जाती हैं, जो देवों के देव महादेव की पूजा के लिए समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन शिव जी और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। इसी वजह से लोग इस दिन को इतने भाव विभोर होकर मनाते हैं। सावन माह में मासिक शिवरात्रि 02 अगस्त को मनाई जाएगी, जो साधक इस दिन सच्ची श्रद्धा के साथ व्रत रखते हैं उन्हें सुख, समृद्धि, संतान और सफलता का वरदान शिव परिवार से प्राप्त होता है।

वहीं, इस दिन (Masik Shivratri 2024) 'श्री उमा महेश्वर स्तोत्र' का पाठ भी बेहद फलदायी माना गया है, जो इस प्रकार है -

॥ श्रीगणेशाय नमः ॥

नमः शिवाभ्यां नवयौवनाभ्यां

परस्पराश्लिष्टवपुर्धराभ्याम् ।

नगेन्द्रकन्यावृषकेतनाभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

नमः शिवाभ्यां सरसोत्सवाभ्यां

नमस्कृताभीष्टवरप्रदाभ्याम् ।

नारायणेनार्चितपादुकाभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

नमः शिवाभ्यां वृषवाहनाभ्यां

विरिञ्चिविष्ण्विन्द्रसुपूजिताभ्याम् ।

विभूतिपाटीरविलेपनाभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ ॥

नमः शिवाभ्यां जगदीश्वराभ्यां

जगत्पतिभ्यां जयविग्रहाभ्याम् ।

जम्भारिमुख्यैरभिवन्दिताभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

नमः शिवाभ्यां परमौषधाभ्यां

पञ्चाक्षरीपञ्जररञ्जिताभ्याम् ।

प्रपञ्चसृष्टिस्थितिसंहृताभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

नमः शिवाभ्यामतिसुन्दराभ्यां

अत्यन्तमासक्तहृदम्बुजाभ्याम् ।

अशेषलोकैकहितङ्कराभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

नमः शिवाभ्यां कलिनाशनाभ्यां

कङ्कालकल्याणवपुर्धराभ्याम् ।

कैलासशैलस्थितदेवताभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

नमः शिवाभ्यामशुभापहाभ्यां

अशेषलोकैकविशेषिताभ्याम् ।

अकुण्ठिताभ्यां स्मृतिसम्भृताभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

नमः शिवाभ्यां रथवाहनाभ्यां

रवीन्दुवैश्वानरलोचनाभ्याम् ।

राकाशशाङ्काभमुखाम्बुजाभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

नमः शिवाभ्यां जटिलन्धराभ्यां

जरामृतिभ्यां च विवर्जिताभ्याम् ।

जनार्दनाब्जोद्भवपूजिताभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

नमः शिवाभ्यां विषमेक्षणाभ्यां

बिल्वच्छदामल्लिकदामभृद्भ्याम् ।

शोभावतीशान्तवतीश्वराभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

नमः शिवाभ्यां पशुपालकाभ्यां

जगत्रयीरक्षणबद्धहृद्भ्याम् ।

समस्तदेवासुरपूजिताभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

स्तोत्रं त्रिसन्ध्यं शिवपार्वतीभ्यां

भक्त्या पठेद्द्वादशकं नरो यः ।

स सर्वसौभाग्यफलानि

भुङ्क्ते शतायुरान्ते शिवलोकमेति ॥॥

॥ इति श्री शङ्कराचार्य कृत उमामहेश्वर स्तोत्रम ॥

आद्य गुरु शंकराचार्य रचित उमा महेश्वर स्तोत्र

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