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Masik Shivratri 2024: कब है चैत्र माह की मासिक शिवरात्रि ? जानिए तिथि और पूजा विधि

इस साल मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2024) का व्रत 7 अप्रैल को रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा होती है जो साधक इस दिन का व्रत रखते हैं उन्हें शुभ फलों की प्राप्ति होती है। मासिक शिवरात्रि वह दिन है जब लोग विभिन्न प्रकार की धार्मिक गतिविधियां करते हैं। इसके अलावा लोग शिव मंदिर जाते हैं और रुद्राभिषेक और जलाभिषेक करते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 31 Mar 2024 03:13 PM (IST)
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Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि पूजन विधि

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि का व्रत ज्योतिष शास्त्र में बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। यह व्रत भगवान शंकर की पूजा के लिए समर्पित है, जो भक्त इस दिन का उपवास रखते हैं उन्हें भोलेनाथ की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में खुशहाली बनी रहती है। इस साल यह व्रत 7 अप्रैल, 2024 को रखा जाएगा। ऐसे में जो लोग इस कठिन व्रत का पालन करते हैं, उन्हें यहां दिए गए पूजा नियमों को अवश्य जानना चाहिए -

मासिक शिवरात्रि व्रत का महत्व

मासिक शिवरात्रि व्रत का हिंदुओं के बीच बड़ा धार्मिक महत्व है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा होती है। इस दिन साधक पूरी श्रद्धा के साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं और अपने परिवार की खुशहाली के लिए कठिन व्रत का पालन करते हैं। मासिक शिवरात्रि वह दिन है, जब लोग विभिन्न प्रकार की धार्मिक गतिविधियां करते हैं। इसके अलावा लोग शिव मंदिर जाते हैं और रुद्राभिषेक और जलाभिषेक करते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि जिन जातकों की जन्म कुंडली में चंद्रमा से संबंधित समस्याएं हैं, उन्हें सभी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए यह उपवास जरूर करना चाहिए।

मासिक शिवरात्रि पूजन विधि

  • इस शुभ अवसर पर भक्त प्रात: उठकर स्नान करें।
  • सुबह उठते ही व्रत का संकल्प लें।
  • एक वेदी स्थापित करें और उसे विधि अनुसार सजाएं।
  • फिर शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें।
  • उनका पंचामृत से स्नान करवाएं।
  • महादेव को सफेद चंदन का तिलक लगाएं।
  • देवी पार्वती को कुमकुम का तिलक लगाएं।
  • गाय के घी का दीपक जलाएं।
  • खीर का भोग लगाएं।
  • सफेद फूलों की माला अर्पित करें।
  • बेलपत्र पूजा में अवश्य शामिल करें।
  • पूजा में हल्दी, तुलसी और केतकी के फूल का उपयोग न करें।
  • शिव तांडव स्तोत्र, शिव चालीसा का पाठ करें।
  • आरती से पूजा को समाप्त करें।
  • भगवान से पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।
  • अगले दिन सुबह शिव प्रसाद से अपना व्रत खोलें।

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डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'