Mauni Amavasya 2024: मौनी अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं? यहां जानें
Mauni Amavasya 2024 मौनी अमावस्या का दिन ज्योतिष शास्त्र में बेहद शुभ माना जाता है। इस साल यह व्रत 9 फरवरी को मनाया जाएगा। मौनी शब्द का अर्थ है मौन रहना रहना। इस दिन लोग मौन व्रत का पालन करते हैं जो आत्म-प्राप्ति पर ध्यान केंद्रित करता है। तो आइए इस दिन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियमों के बारे में जानते हैं -
By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sat, 27 Jan 2024 12:21 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Mauni Amavasya 2024: मौनी अमावस्या के दिन का खास महत्व है। यह माघ महीने के दिन मनाई जाती है। मौनी अमावस्या की तिथि हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल बदलती रहती है। इस साल यह 9 फरवरी को मनाई जाएगी है।
मौनी शब्द का अर्थ है मौन रहना रहना। इस दिन लोग मौन व्रत का पालन करते हैं, जो आत्म-प्राप्ति पर ध्यान केंद्रित करता है।
मौनी अमावस्या 2024 तिथि
अमावस्या तिथि की शुरुआत - 09 फरवरी 2024 अमावस्या तिथि का समापन - 10 फरवरी 2024।
यह भी पढ़ें: Shani Chalisa Ka Path: शनिवार के दिन करें भगवान शनि की चालीसा का पाठ, घर में कभी नहीं होगी पैसों की कमी
मौनी अमावस्या पर क्या करें और क्या नहीं ?
- मौनी अमावस्या का मुख्य पहलू मौन रहना है। इसलिए इस दिन लोग मन को शांत करने और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाने के लिए बोलने से परहेज करते हैं।
- इस दिन फिल्मों, संगीत और मनोरंजन के अन्य रूपों जैसे बाहरी विकर्षणों से बचने की सलाह दी जाती है।
- इस दिन विलासितापूर्ण गतिविधियों में शामिल होने से बचना चाहिए।
- इस अवसर पर नकारात्मक विचारों और भावनाओं से दूर रहना चाहिए।
- इस दिन लोग भगवान के साथ अपना संबंध गहरा करने के लिए ध्यान, प्रार्थना और अन्य धार्मिक कार्य करते हैं।
- मौनी अमावस्या पर जरूरतमंदों को दान देना, वंचितों की मदद करना और निस्वार्थ कार्य करना शुभ माना जाता है।
- इस दौरान पवित्र नदियों में डुबकी लगाने से शरीर और आत्मा शुद्ध होती है।
- इस शुभ दिन पर पवित्र ग्रंथों और आध्यात्मिक साहित्य को पढ़ने से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- मौनी अमावस्या पर उपवास करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
मां गंगा का पूजन मंत्र
- ''ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:।।
- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।
- गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतं । त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां''।।