Meditation Benefits: क्या है ध्यान का आध्यात्मिक महत्व, जानिए इसका सही तरीका
Meditation Benefits सनातन धर्म में ध्यान यानी मेडिटेशन को विशेष महत्व दिया गया है। प्राचीन काल से ही ध्यान करने का प्रचलन रहा है। यह न केवल शरीर के लिए उपयोग सिद्ध होता है बल्कि आध्यात्मिक क्षेत्र में भी इसका विशेष महत्व है। आइए जानते हैं कि ध्यान करने का सही तरीका क्या है और ध्यान करते समय किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।
By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Tue, 15 Aug 2023 04:05 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Meditation Benefits: ध्यान एक कल्पवृक्ष की तरह है। ध्यान एक ऐसी महत्वपूर्ण शिक्षा है, जिसकी आवश्यकता हमें लौकिक जीवन में भी पड़ती है और आध्यात्मिक अलौकिक क्षेत्र में भी इसका उपयोग किया जाता है। आज विज्ञान ने भी ध्यान यानी मेडिटेशन के कई लाभों को स्वीकार किया है। आध्यात्मिक क्षेत्र में माना गया है कि आत्मा के परमात्मा से मिलन के लिए लक्ष्य पर ध्यान को एकाग्र करना आवश्यक है।
क्या है ध्यान का आध्यात्मिक महत्व
ज्ञान को जितना सशक्त बनाया जाता है, वह उतना ही वह किसी भी क्षेत्र में उपयोगी सिद्ध हो सकता है। मनुष्य की इच्छा पूर्ति की सभी दिशाओं में ध्यान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उपासना के क्षेत्र में भी ध्यान विशेष महत्व रखता है। भक्ति व अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ध्यान को महत्वपूर्ण साधन माना गया है।आध्यात्मिकता में ध्यान का उद्देश्य है अपने स्वरूप और अपने लक्ष्य की विस्मृति के कारण उत्पन्न हुई बाधाओं से छुटकारा पाना। ध्यान तन, मन और आत्मा के बीच लयात्मक सम्बन्ध बनाता है और उसे बल प्रदान करता है। ध्यान का नियमित अभ्यास करने से आत्मिक शक्ति बढ़ती और मानसिक शांति की अनुभूति होती है।
ध्यान का उचित आसन
ध्यान के लिए उचित आसन में होना सबसे जरूरी है। ध्यान इस विधि से करना चाहिए कि आपका मेरुदंड सीधा हो। जब साधक अपने मन और प्राणशक्ति को मेरुदंड में चक्रों से होते हुए उधर्व चेतना की ओर भेजने के लिए प्रयास करता है, तो उसे अनुचित आसन के कारण मेरुदंड की नाड़ियों में होने वाली सिकुड़न व संकुचन से बचना चाहिए।
इन बातों का रखें ध्यान
जमीन पर आसन बिछाकर पालथी मारकर सुखासन या पद्मासन में बैठें। ध्यान का अभ्यास करते समय शुरू में 5 मिनट भी काफी होते हैं। अभ्यास से 20-30 मिनट तक ध्यान लगा सकते हैं। ध्यान करने के लिए ऐसी जगह का चयन करें जो एकदम शांत हो।इस तरह शुरू करें ध्यान
ध्यान की शुरुआत में प्राणायाम करना या थोड़ी देर तक लम्बी सांस धीरे-धीरे लेना और धीरे-धीरे छोड़ना चाहिए। इससे मष्तिष्क सक्रिय होता है और विचारों को नियंत्रित करना सम्भव होता है। गुस्से में, जोश में सांस बहुत तेज चलने लगती है और दुःख और निराशा में सांस धीमी हो जाती है।सांस की गति का विचारों पर असर होता है और असामान्य सांस से मानसिक अस्थिरता पैदा होती है। इसलिए प्राणायाम या गहरी और लम्बी सांस मन और विचारों में शांति लाती है, जिससे मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है।