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Lord Vishnu Mohini Avtar: भगवान विष्णु ने क्यों लिया था मोहिनी अवतार? जानिए इसके पीछे की वजह

सनातन धर्म में एकादशी तिथि का बड़ा महत्व है। आपको बता दें जिस तिथि पर श्री हरि ने मोहिनी स्वरूप धारण किया था वह वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि थी। यही वजह है कि इस एकादशी को मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi 2024) के नाम से जाना जाता है जिसका पालन करने से सभी पाप कट जाते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 17 May 2024 04:21 PM (IST)
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Mohini Ekadashi 2024: भगवान विष्णु ने क्यों धारण किया था मोहिनी रूप ?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mohini Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में प्रत्येक एकादशी तिथि शुभ मानी जाती है। इस दिन लोग भगवान विष्णु के लिए व्रत रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं। वैशाख महीने में पड़ने वाली एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, जो इस साल 19 मई, 2024 को मनाई जाएगी। इस पुण्यदायी तिथि को लेकर कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्री हरि ने मोहिनी का रूप धारण किया था। उन्हीं के इस दिव्य नाम से इस तिथि का नाम मोहिनी एकादशी पड़ गया, तो आइए इसके पीछे का रहस्य जानते हैं -

भगवान विष्णु ने क्यों धारण किया था मोहिनी रूप ?

पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, देवताओं और राक्षसों ने अमृत प्राप्ति के लिए मिलकर समुद्र मंथन किया था। जैसे ही समुद्र मंथन से अमृत कलश की प्राप्ति हुई। देवताओं से असुरों ने उसे छीन लिया, तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप लिया। नारायण के इस दिव्य स्वरूप को देखकर हर कोई मोहित हो गया। फिर मोहिनी यानी विष्णु जी ने देवताओं और असुरों को बारी बारी से अमृत पान कराने के लिए राजी किया।

इसके बाद श्री हरि ने सभी देवताओं को अमृत पान करा दिया। हालांकि इस अवधि के दौरान छल से एक असुर ने भी अमृत पान कर लिया था। उस राक्षस के इस छल को सूर्य और चंद्र देव पहचान गए थे, इसके बाद उन्होंने पूरी जानकारी भगवान विष्णु को दी।

सुदर्शन चक्र से सिर और धड़ कर दिया था अलग

इस बात को सुनकर विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से उस असुर का सिर और धड़ अलग कर दिया था। अमृत पान की वजह से वह दैत्य मरा नहीं, वहीं उसका सिर और धड़ हमेशा के लिए अमर हो गया, जिन्हें आज राहु और केतु के नाम से जाना जाता है।

मोहिनी एकादशी

जानकारी के लिए बता दें, जिस तिथि पर श्री हरि ने मोहिनी स्वरूप धारण किया था, वह वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि थी। यही वजह है कि इस एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, जिसका पालन करने से सभी पाप कट जाते हैं।

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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।