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Mohini Ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी पर भूलकर भी न करें ये गलतियां, वरना भगवान विष्णु हो सकते हैं नाराज

मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi 2024) पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि जो साधक इस दिन श्री हरि की पूजा भाव के साथ करते हैं उनके धन और वैभव में वृद्धि होती है। साथ ही घर में माता लक्ष्मी का वास होता है। इस साल यह व्रत 19 मई को रखा जाएगा।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 12 May 2024 11:33 AM (IST)
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Mohini Ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी पर इन बातों का रखें ध्यान -
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mohini Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में मोहिनी एकादशी बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह पर्व शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु और धन की देवी लक्ष्मी की पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि जो साधक इस दिन श्री हरि की पूजा भाव के साथ करते हैं उनके धन और वैभव में वृद्धि होती है। साथ ही घर में माता लक्ष्मी का वास होता है।

इस साल यह व्रत 19 मई, 2024 को रखा जाएगा, तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण (Mohini Ekadashi 2024 Dos And Donts) बातों को जानते हैं -

मोहिनी एकादशी पर क्या करें और क्या नहीं ?

  • एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मां तुलसी एकादशी का व्रत रखती हैं।
  • जो लोग एकादशी का उपवास निर्जला रखते हैं, उन्हें इस दिन कुछ भी खाने-पीने से बचना चाहिए।
  • एकादशी के दिन साबुन से नहीं नहाना चाहिए।
  • भले ही आप आप उपवास कर रहे हैं या नहीं, लेकिन एकादशी के दिन चावल से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • एकादशी के दिन भगवान विष्णु के भोग में तुलसी दल जरूर शामिल करना चाहिए।
  • एकादशी के दिन किसी के बारे में बुरा बोलने से बचना चाहिए, साथ ही अपना मन शांत रखना चाहिए।
  • इस दिन तामसिक चीजों जैसे- मांस, शराब, लहसुन, प्याज आदि के सेवन से बचना चाहिए।
  • इस दिन पूर्ण रूप से सात्विक भोजन ही करना चाहिए।
  • इस दिन बड़ों का अपमान करने से बचना चाहिए।
  • एकादशी के दिन ज्यादा से ज्यादा पूजा-पाठ और धर्म से जुड़े कार्य करने चाहिए।
  • इस दिन किसी के बारे में गलत बातें नहीं बोलनी चाहिए।
  • इस तिथि पर गौ माता को हरा चारा खिलाना चाहिए।

मोहिनी एकादशी पूजन मंत्र

  • ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

    ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

  • ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।
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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।